साम्प्रदायिक सद्भाव की साक्षात मूर्ति लोकदेवता बाबा रामदेव—रामसापीर Part 1

j k garg
राजस्थान के जनमानस में पांच पीरों मे बाबा रामसा पीर का प्रमुख स्थान है।रामदेवजी, रामदेव पीर, रामसा पीर, के नामों से जाने वाले बाबा रामदेव जी एक शासक थे और तंवर राजपूत थे जिसे मान्यताओं के मुताबिक भगवान विष्णु के अवतार के रूप में माना जाता है। रामापीर का प्रसिद्ध मेला उत्तर भारत में धूमधाम गाजे बाजे के साथ हर साल मेला भाद्रपद शुक्ला 2 से भाद्रपद शुक्ल 11तक मनाया जाता है इस वर्ष यह मेला 07 सितम्बर 2021 से 16 सितम्बर 2021 तक मनाया जा रहा है । रामदेवरा मेला में हज़ारों भक्त दूर-दूर से बड़े-बड़े समुहों में नाचते गाते-भजन कीर्तन करते हुये पैदल, बसों,कारों, बेलगाड़ियों ट्रेक्टर,या अन्य साधनों से आते हैं। निसंदेह रामदेवजी का मन्दिर हिन्दू और मुसलमानों की आस्था का केंद्र है और हिन्दुस्तान की साँझा संस्क्रती की मिशाल पेश करता है |

विक्रम संवत1409 की भादवा शुक्ल दूज के दिन पश्चिम राजस्थान के पोकरण शहर के नजदीक रुणिचा नामक स्थान में अजमल जो रुणिचा के शासक थे , उनके घर बाबा रामदेव का अवतार हुआ था | मान्यताओं के मुताबिक राजा अजमल ने पुत्र प्राप्ति हेतु दान पुण्य और अनेकों यज्ञ किये | द्वारकाजी में अजमल जी को भगवान के साक्षात दर्शन हुए तब राजा अजमल ने उनसे उनके घर में उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने की याचना की तब भगवान द्वारकानाथ ने राजा अजमल ने कहा मैं तुम्हे वचन देता हूँ कि तुम्हारा पहला बेटा वीरमदेव होगा और दूसरे बेटे के रूप में मै खुद तुम्हारे आपके घर आउंगा।

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