साम्प्रदायिक सद्भाव की साक्षात मूर्ति लोकदेवता बाबा रामदेव—रामसापीर Part 7

j k garg
संवत् 1442 में अपने हाथ में श्रीफल लेकर अपने सारे बुजुर्गों को प्रणाम किया, सभी उपस्थित भक्तों ने पत्र पुष्प चढ़ाकर रामदेव जी का श्रद्धा से अन्तिम पूजन किया। रामदेव जी ने समाधि में खड़े होकर सब के प्रति अपने अन्तिम उपदेश देते हुए कहा “प्रति माह की शुक्ल पक्ष की दूज को पूजा पाठ, भजन कीर्तन करके पर्वोत्सव मनाना, रात्रि जागरण करना। प्रतिवर्ष मेरे जन्मोत्सव के उपलक्ष में तथा अन्तर्ध्यान समाधि होने की स्मृति में मेरे समाधि स्तर पर मेला लगेगा। मेरे समाधी पूजन में किसी से भेदभाव मत रखना। मैं सदैव अपने भक्तों के साथ रहुँगा” ऐसा कहकर रामदेव जी महाराज ने समाधि ले ली।

error: Content is protected !!