राजस्थान जन प्रिय लोक देवता तेजाजी Part 1

j k garg
प्राण जाये पर वचन नहीं जाए का पालन करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले तेजाजी महाराज) राजस्थान के जनप्रिय लोक देवता है | वीर तेजा जी अपने जन्म के सेकड़ो सालों बाद भी ग्रामीणों के प्रमुख आराध्य देवता है | किद्विन्तियो और लोकमान्यता के मुताबिक उन्हें भगवान शिव का ग्यारहवां अवतार माना जाता है |. उनका जन्म नागवंशी जाट घराने में हुआ था | सनातन धर्म के अलावा स्थानीय परिदृश्य में अनेक लोक देवताओं के पूजन की परंपरा सालों से चली आ रही है। वीर तेजाजी को राजस्थान के आलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा पंजाब जम्मू कश्मीर आदि राज्यों में भी आज भी जन प्रिय लोक देवता के रूप में पूजा जाता है जहां उनके अनेको मंदिर| मोजूद है | वीर तेजाजी महाराज का पूजन हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तेजा दशमी पर्व के रूप मनाया जाता है। मान्यताओं के मुताबिक आह भी है कि सर्पदंश से बचने के लिए वीर तेजाजी का पूजन किया जाता है | हालांकि इस साल बार कोरोना महामारी के चलते तेजा मेले नहीं लगे रहे हैं साधारणतया तेजाजी के मंदिरों में में पूजा करने वालों को भोपा कहा जाता है | सनातन धर्म और स्थानीय परिदृश्य में अनेक लोक देवताओं के पूजन की परंपरा वर्षो से चली आ रही है। वीर तेजाजी महाराज का पूजन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन तेजा दशमी पर्व के रूप में मनाया जाता है इसी दिन अनेक जगहों पर तेजाजी के मंदिरों में मेले का भी आयोजन किया जाता है।.

तेजाजी का विवाह उनके बाल्यकाल में ही पनेर गाँव के निवासी रायमल जी की पुत्री पेमल के साथ हो गया था | दोनों परिवारों में अनबन हो जाने की वजह से तेजाजी उनके पेमल के साथ शादी के बारे में नहीं बताया गया|

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