राजस्थान जन प्रिय लोक देवता तेजाजी Part 2

j k garg
उस वक्त गावं में परंपरा थी की वर्षा होने पर कबीले के मुखिया सबसे पहले खेत में हल जोतने की शुरुआत करते थे और उसके बाद ही गावं के अन्य किसान हल जोतते थे | अपने पिता और बड़े भाई की अनुपस्तिथी के कारण तेजाजी खेतों में पहुँच कल चलाने लगे ,काम करते करते दोपहर हो गई एवं तेजाजी भूख से परेशान होकर भोजन लेकर आने वाली अपनी भाभी का इंतजार करने लगे भाभी को काफी काम करना ता इसलिए वो बहुत देर के बाद खाना ले कर खेतो पर पहुची अपनी भूख से परेशान तेजा ने उन्हें उलाहना दिया जिस से भाभी अपना आपा खो बेठी और उन्हें तंज मारते हुए बोली अगर आपको समय पर खाना चाहिये तो तुम अपनी बीबी पेमल को उसके पीहर से क्यों नहीं ले लाते ?

भाभी की बातें सुन कर तेजा को विश्वास ही नहीं हुआ कि उनकी शादी हो चुकी है और वें तिलमिलाते हुए घर आ कर माँ से पूछा “ मेरी शादी कहाँ कब और किसके साथ हुई? “ माँ ने उन्हें सारी बातें बताई और कहा तुम्हारा ससुराल पनेर में रायमल जी के घर है और तुम्हारी पत्नी का नाम पेमल है| तेजा ससुराल जाने को आतुर हो गये तब तेजाजी की को उलाहना देते हुए बोली भाभी बोली अपनी दुल्हन पेमल को घर पर लाने अपनी बहन राजल को तो उसके ससुराल से ले आओ पीहर लेकर आओ औरउसके यहाँ आने के बाद पेमल को लेने जाना बाद ससुराल जाना | तेजाजी अपनी बहन राजल को लिवाने उसकी ससुराल के गाँव अजमेर के पास तबीजी से अपने ग़ाव खरनाल ले आये तेजाजी ने अपनी माँ और भाभी से पनेर जाने की इजाजत लेकर वे एक दिन सुबह ही अपनीपत्नी पेमल कोलाने के निकल पड़े अपनी ससुराल पनेर आ गये चे |

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