नव और रात्र शब्दों से मिलकर बना है नवरात्रि । नव का अर्थ है नौ है वहीं रात्र शब्द में पुनः दो शब्द शामिल हैं “रा” का अर्थ है रात और “त्रि” का अर्थ है जीवन के तीन पहलू यानी शरीर मन और आत्मा। निसंदेह जीवन में हर एक को तीन प्रकार की मुश्किल समस्याओं का सामना करना ही पड़ता है वों भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक होती है। इन सभी समस्याओं से जो छुटकारा दिलवाने वाली “रात्रि” ही होती है । रात्रि या रात मनुष्यों को दुख से मुक्ति दिलाकर उनके जीवन में यश सुख सुविधा खुशाली लाती है। सच्चाई तो यही है आदमी को आराम सिर्फ रात्री में ही मिलता है । रात की गोद में हम सभी अपने सारे सुख दुःख को भूल कर नींद का आनन्द लेते है |
भारत में सदेव से नारी को देवी तुल्य मान कर सम्मान देने की गोरवमयी परम्पराचली आ रही है | नवरात्रा की प्रथम “देवीशैलपुत्री” के जरिये हमारे ऋषि-मुनि जहाँ हम लोगों को पहाड़ों के प्राक्रतिक स्वरूप एवं पर्यावरण को सुरक्षित बनाये रखने का संदेश देते हैं, वहीं दुसरी तरफ “देवी ब्रह्मचारिणी” के माध्यम से हम सभी को जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करते रहने के साथ साथ नवीन ज्ञान प्राप्ति करते हए नये नये शोध कार्य करते रहने का संदेश देती है |