अधर्म पर धर्म अहंकार पर विनम्रता असत्य पर सत्य की विजय का पर्व विजयादशमी part 7

j k garg
पीठ पीछे किसी की निंदा कर हम अपना ही अहित करते हैं और दूसरों को अपना दुश्मन बनाते है | रावण की परनिंदा की आदत भी उसकी पराजय का कारण बनी | रावण का अभिमान ही उसके पतन का कारण बना | हम हमारे अभिमान-घमंड की वजह से दूसरों के स्वाभिमान को ठेंस पहुंचाते हैं| कहावत है कि घमंडी का सिर हमेशा नीचा ही रहता है | हमने कल के बादशाह को कंगाल बनते हुए देखा है | पवनपुत्र हनुमानजी ने लंकापति रावण के वैभव को देख कर कहा कि अगर रावण में अधर्म अधिक बलवान नहीं होता तो वह देवलोक का भी स्वामी बन जाता |सच्चाई तो यही है कि विजयादशमी का पर्व मनाना तभी सार्थक होगा जब हम अपनी दिनचर्या एवं जीवन में से सभी प्रकार के पापों यानि काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा, अधर्म और चोरी को छोड़ने का संकल्प लेकर उसे मूर्त रूप देगें और तभी सही मायनों में राम राज्य स्थापित हो सकेगा । राम राज्य की स्थापना मात्र मंदिरों में माथा टेकने और राम राम के नाम को जपने से नहीं होगा वरन राम के दुवारा स्थापित मानवीय आदर्शों को मूर्त रूप देने से होगा |

डा.जे.के. गर्ग
पूर्व संयुक्त निदेशक कॉलेज शिक्षा

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