अहोई अष्टमी का व्रत आज

राजेन्द्र गुप्ता
करवा चौथ से ठीक 3 दिन बाद संतान की लंबी आयु की कामना के लिए महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन ये व्रत रखा जाता है। अहोई का व्रत दिवाली से ठीक एक हफ्ते पहले आता है। इस बार अहोई अष्टमी 28, अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में आज के दिन महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। महिलाएं इस दिन अहोई माता की पूजा करती हैं। साथ ही इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। बता दें कि कुछ महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। यही नहीं। ये भी मान्यता है कि अगर संतान की मृत्यु गर्भ में ही हो रही है, तो उन्हें अहोई का व्रत रखने की सलाह दी जाती है।

अहोई अष्टमी का व्रत भी करवा चौथ के व्रत की तरह ही रखा जाता है इसमें चांद को देखकर अर्घ्य नहीं दिया जाता, बल्कि अहोई के दिन तारों को देखकर व्रत खोला जाता है। तारों को देखकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य देने के बाद ही जल-अन्न ग्रहण किया जाता है। इस दिन संतान की लंबी आयु की कामना करते हुए तारों की पूजा की जाती है।

अहोई अष्टमी की पूजा विधि
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सुबह उठाकर स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें।
पूजा घर को पूजन से पहले अच्छी तरह साफ कर लें।
अब दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनायें या लगायें।
रोली, चावल और दूध से माता अहोई की पूजा करें।
इसके बाद कलश में जल भरकर माताएं अहोई अष्टमी कथा का श्रवण करें।
माता अहोई को पूरी या फिर किसी मिठाई का भोग लगायें।
पूजा के समय मन में किसी प्रकार की गलत भावना ना लायें।
पूजा के बाद माता की आरती के बाद मंत्रों का उच्चारण करे।
रात में तारों का अर्घ्य देकर अन्न ग्रहण करें।
माता अहोई से संतान की लंबी उम्र और सुखदायी जीवन की कामना करें।

अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त
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पूजा का मुहूर्त – 28 अक्टूबर 2021, बृहस्पतिवार।
पूजा का समय – 05:39 PM से 06:56 तक।

अहोई अष्टमी का महत्व
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हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत भी अन्य व्रतों की तरह अत्यंत महत्वपूर्ण है। संतान की भलाई के लिए व्रत रखा जाता है। कहते हैं कि अहोई अष्टमी का व्रत बहुत कठिन होता है। भाग्यशाली लोगों को ही संतान का सुख प्राप्त होता है, ऐसे में माता से अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत कर विधि विधान से अहोई माता की पूजा करने से मां पार्वती अपने पुत्रों की तरह ही आपके बच्चों की रक्षा करती हैं। साथ ही पुत्र प्राप्ति के लिए भी यह व्रत खास महत्व रखता है।

अहोई अष्टमी व्रत कथा
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अहोई अष्टमी कथा के अनुसार एक शहर में एक साहूकार के 7 लड़के रहते थे। साहूकार की पत्नी दिवाली पर घर लीपने के लिए अष्टमी के दिन मिट्टी लेने गई। जैसे ही मिट्टी खोदने के लिए उसने कुदाल चलाई वह साही की मांद में जा लगी, जिससे कि साही का बच्चा मर गया। साहूकार की पत्नी को इसे लेकर काफी पश्चाताप हुआ, इसके कुछ दिन बाद ही उसके एक बेटे की मौत हो गई। इसके बाद एक-एक करके उसके सातों बेटों की मौत हो गई। इस कारण साहूकार की पत्नी शोक में रहने लगी।
एक दिन साहूकार की पत्नी ने अपनी पड़ोसी औरतों को रोते हुए अपना दुख की कथा सुनाई, जिस पर औरतों ने उसे सलाह दी कि यह बात साझा करने से तुम्हारा आधा पाप कट गया है। अब तुम अष्टमी के दिन साही और उसके बच्चों का चित्र बनाकर मां भगवती की पूजा करो और क्षमा याचना करो। भगवान की कृपा हुई तो तुम्हारे पाप नष्ट हो जाएंगे। ऐसा सुनकर साहूकार की पत्नी हर साल कार्तिक मास की अष्टमी को मां अहोई की पूजा व व्रत करने लगी। माता रानी कृपा से साहूकार की पत्नी फिर से गर्भवती हो गई और उसके कई साल बाद उसके फिर से सात बेटे हुए। तभी से अहोई अष्टमी का व्रत चला आ रहा है।

इन बातों का रखें ख्याल
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अहोई अष्टमी के दिन इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि अहोई माता से पहले गणेश जी की पूजा करें।

अहोई अष्टमी का व्रत तारों को देखकर खोला जाता है। इस दिन तारों के निकलने के बाद उनकी पूजा की जातीहै और अर्घ्य देकर अहोई अष्टमी का व्रत पारण किया जाता है।

मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत कथा सुनते समय 7 तरह के अनाज अपने हाथों में रखने चाहिए। कहते हैं कि पूजा के बाद हाथ में रखे इन अनाजों को किसी गाय को खिला दें।

अहोई अष्टमी के व्रत पूजा करते समय बच्चों को साथ में जरूरी बैठाएं और अहोई माता को भोग लगाने के बाद वो प्रसाद अपने बच्चों को जरूर खिलाएं।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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