आधुनिक भारत के शिल्पकार नेहरू part 5

j k garg
नेहरू जी का बच्चों से प्रेम का एक वाकया है। तीन मूर्ति भवन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का सरकारी निवास था। एक दिन वे अपने बगीचे में टहल रहे थे। तभी उन्हें एक छोटे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। नेहरूजी ने आसपास देखा तो उन्हें पेड़ के बीच एक दो माह का बच्चा रोता दिखाई दिया। नेहरूजी ने मन हीमन सोचा- इसकी मां कहां होगी? उन्होंने इधर-उधर देखा। वह कहीं भी नजर नहीं आ रही थी। उन्होंने सोचा शायद वह बगीचे में ही कहीं माली के साथ काम कर रही होगी। नेहरूजी यह सोच ही रहे थे कि बच्चे ने रोना तेज कर दिया। इस पर उन्होंने उस बच्चे को उठाकर अपनी बांहों में लेकर उसे थपकियां दीं, झुलाया तो बच्चा चुप हो गया और मुस्कुराने लगा। बच्चे की मां ने जब प्रधानमंत्री की गोद में अपने बच्चे को देखा तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। ऐसे महान थे चाचा नेहरू।यही वजह है कि बाल दिवस पर आज भी बच्चे चाचा नेहरू को याद करते हैं। हमेशा बच्चों की तरह हमेशा तरोताजा दिखने वाले चाचा नेहरू ने अपने तरोताजा रहने का राज बताते हुये कहा इसके तीन कारण हैं। यथा–बच्चों को बहुत प्यार करता हूँ। उनके साथ खेलने की कोशिश करता हूँ, इससे मैं अपने आपको उनको जैसा ही महसूस करता हूँ। मैं प्रकृति प्रेमी हूँ,और पेड़-पौधों,पक्षी,पहाड़,नदी,झरनों,चाँद,सितारों से बहुत प्यार करता हूँ। मैं इनके साथ में जीता हूँ,जिससे में अपने आप को तरोताजा रखता हूँ।

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