महान सामाजिक सुधारक परम पूज्य नानक देवजी पार्ट 2

j k garg
ऐसा कहा जाता है कि नानक देव जी को उनके पिता ने एक बार व्यापार करने के लिए 20 रुपये दिए और कहा “ इन 20 रुपये से सच्चा सौदा करके आओ”| नानक देव जी सौदा करने निकले. रास्ते में उन्हें साधु-संतों की मंडली मिली | नानकदेव जी साधु-संतों को 20 रुपये का भोजन करवा कर वापस लौट आए|पिताजी ने पूछा- क्या सौदा करके आए? उन्होंने कहा- ‘साधुओं को भोजन करवाया.यही तो सच्चा सौदा है | गुरु नानक जी का कहना था कि ईश्वर मनुष्य के दिल में बसता है, अगर हृदय में निर्दयता, नफरत, निंदा, क्रोध आदि विकार हैं तो ऐसे मैले हृदय में परमात्मा बैठने के लिए भी तैयार नहीं हो सकते हैं |

गुरु नानक जी ने कहा था कि ईश्वर एक है और उसे पाने का तरीका भी एक है। यही सत्य है। वो रचनात्मक है और वो अविनाशी है। प्रभुजी को वो ही प्राप्त कर सकते हैं जिनमे कोई डर नहीं और जो द्वेष भाव से मुक्त है। प्रभुजी को केवल इसे की कृपा द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। सभी मनुष्य एक ही हैं न कोई हिन्दू और न कोई मुसलमान। सभी एक समान हैं। आदमी को केवल वही वाणी बोलना चाहिए जो आपको सम्मान दिलाये। याद रक्खे सिर्फ वो आदमी जिसे खुद पर विश्वास नहीं है वो कभी भी ईश्वर पर पूर्ण-रूप से विश्वास नहीं कर सकता।

गुरु उपकारी है। पूर्ण शांति उनमे ही निहित है। गुरु ही तीनो लोकों में उजाला करने वाला होता है वह प्रकाश पुंज है। गुरु का सच्चा शिष्य ही ज्ञान और शांति प्राप्त करता है।

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