महान सामाजिक सुधारक परम पूज्य नानक देवजी पार्ट 3

j k garg
नानक देव जी के मुताबिक अहंकार से ही मानवता का अंत होता है। इसलिए अहंकार कभी नहीं करना चाहिये बल्कि अपने में हृदय में सेवा भाव रख जीवन बिताना चाहियें। सांसारिक प्रेम की अपनी लौ जलाओ और उसकी राख की स्याही बनाओ, अपने हृदय को कलम बनाओ, अपनी बुद्धि को लेखक बनाओ और वह लिखो जिसकी कोई हद या अंत नहीं है। ईश्वर की सीमायें और कार्य क्षेत्र संपूर्ण मानव जाति की सोच से परे हैं। सत्य को जानना हर चीज से बड़ा है और उससे भी बड़ा है सच्चाई के साथ जीना।जब आप किसी की मदद करते हैं तो ईश्वर आपकी मदद करता है। इसलिए हमें हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहना चाहिये। कर्म भूमि पर फल पाने के लिए कर्म सबको करना पड़ता है। ईश्वर तो सिर्फ लक़ीरें देते हैं पर रंग उनमे हमको ही भरना पड़ेगा है। ईश्वर की हज़ारों आँखें हैं और फिर भी एक भी आँख नहीं। ईश्वर के हज़ारों रूप हैं और फिर भी प्रभुजी निराकार हैं।आप जो भी बीज आज बोयेंगे, उसका फल आपको देर सबेर जरूर मिलेगा। जब हमारा शरीर मैला हो जाता है तो हम पानी से उसे साफ़ कर लेते हैं। उसी तरह जब हमारा मन मैला हो जाये तो उसे ईश्वर के जाप और प्रेम द्वारा ही स्वच्छ किया जा सकता है। याद रक्खे कि भगवान के दरबार में सभी कर्मों का लेखा-जोखा रहता है।बिना गुरु के कुछ भी काम अधूरा होता हैं।

error: Content is protected !!