युग प्रवर्तक युवा सम्राट स्वामी विवेकानंद part 6

j k garg
एक बार अंग्रेजों ने भारतीय परिधान पर व्यंग्य करते हुए कहा था की आपकी वेशभूषा बहुत “असभ्य” हैं। इस पर स्वामी विवेकानंद जी ने कहा, “आपकी संस्कृति में, कपड़ों से आदमी की पहचान होती है लेकिन हमारी संस्कृति में कपड़ों से नहीं वरन चरित्र से व्यक्ति की पहचान होती है”। स्वामीजी ने बतलाया कि “जब हम पृथ्वी में एक बीज को बोते हैं तो उसके चारों ओर हवा और पानी की व्यवस्था भी करते हैं। लेकिन क्या वो बीज पृथ्वी, हवा या जल बन जाता है? नहीं। बीज हवा, पानी और पृथ्वी को आत्मसात करता है और इनके सहयोग से स्वयं का विकास करता है और पौधे के रूप में विकसीत होकर बढ़ता है। ठीक ऐसा धर्म के मामले में भी है | एक हिंदू को मुसलमान नहीं बनना चाहियें और ना ही मुसलमान को हिन्दू | एक इसाई को हिंदू या बोद्ध नहीं बनना चहिए और न ही किसी हिंदू या बौद्ध को इसाई बनना चाहिए। लेकिन प्रत्येक को दुसरे धर्म का सम्मान अवश्य करना चाहिए | हर आदमी को अपनी आस्था के मुताबिक अपने धर्म का पालन करना चाहिये |

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