युग प्रवर्तक युवा सम्राट स्वामी विवेकानंद part 7

j k garg
स्वामी जी के मुताबिक़ मुस्कुराहट हंसी मजाक में हर संघर्ष और प्रतिकूल स्थिति को बदलने की क्षमता है। मुस्कुराहट हंसी मजाक विवेकवान आदमी का लक्षण है। यदि आप हास्यवान व्यक्ति हैं तो आप हर स्थिति में ख़ुद को ढाल सक सकते हैं और अपने विरोधियों के मन को भी आप जीत सकते हैं।
जहाँ विवेकानंद जी की धर्म संसद विश्व धर्म संसद थी वहीं दुसरी तरफ हाल में हरिद्वार और रायपुर में आयोजित धर्म संसद वैश्विक नहीं थी। यहां तथाकथित संतों और धर्मान्धता से ग्रसित लोगों ने जहर उगला और केवल हत्या घृणा और नरसंहार की बातें कीं। महात्मा गांधी की निंदा करते हुए उनके हत्यारे की प्रशंसा की गई। एक वक्ता ने कहा कि उन्होंने देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह के सीने में रिवॉल्वर खाली कर उनको मार डालने की लज्जाजनक बात की क्योंकि उन्होंने 2006 में कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है। हरिद्वार और रायपुर के भाषणों की निंदा केवल इसलिए ही नहीं की जानी चाहिए क्योंकि वे वैमनस्य पैदा करते हैं। वे वैमनस्य तो पैदा करते ही हैं, लेकिन साथ ही मौलिक तौर पर विवेकानंद द्वारा स्थापित हिंदुत्व का विरोध करते हैं। इन तथाकथित संतों का हिंदुत्व स्वामी विवेकानंद के हिन्दुत्त्व से बिलकुल भिन्न है | अब तो ऐसा मालूम होता है कि वास्तव के अंदर हिंदू और और हिन्दुत्व अलग अलग ही है |

error: Content is protected !!