होली बनाने के तरी के अनेक किन्तु संदेश एक

dr. j k garg
होली को मनाने के तरीके अनेक फिर भीसन्देश सिर्फ भाईचारे,प्रेम परस्पर विश्वास एवं सौहार्द का पार्ट 1 कृष्ण ने गीता के अंदर तीन प्रवृत्तियों यानी सात्विक राजसी और तामसी का वर्णनकिया इनमे तामसी आदतों का मतलब है कुसंस्कार यानी ईर्ष्या,अनाचार,दुर्भावना अभिमान, असहिष्णुता,अविश्वास राग देवेश आदि इन्हींसारी आदतों को होली की दिव्य अग्नि में भस्म कर देना ही सच्चा ‘होलिका दहन’ है। होलिका दहन कामतलब है कि आदमी की मजबूत सकारात्मकसात्विक इच्छा शक्ति ही इन्सान को समस्त तामसी आदतों से छुटकारा दिला सकती है | भारत केविभिन्न प्रान्तों के अंदर होली को मनाने के तरीके अलग अलग हो सकते हैं किन्तु उन सब के अंदर सन्देश सिर्फ भाईचारे, प्रेमएवं सौहार्द का ही होता है |भगवान कृष्ण की नगरी मथुरावृंदावन में होली को कृष्ण और राधा के पवित्र प्रेम से जोड़ कर देखा जाता है | होली का दिन शुरू होते ही नंदगांव केहुरियारों की टोलियों और कीर्तन मंडलियाँ बरसाने पहुँचने लगती हैं |‘कान्हा बरसाने में आई जइयोबुलाए गई राधा प्यारी’ ‘फाग खेलन आए हैं नटवर नंद किशोर’और‘उड़त गुलाल लाल भए बदरा’जैसे गीतों की मस्ती से पूरामाहौल झूम उठता है | इस दौरान भांग-ठंडाई का खूब इंतज़ाम होता है | बरसाने में टेसू के फूलों केविशालकाय भगोने तैयार किये जाते हैं | दोपहर तक घमासान लठमार होली का समाँ बंध चुका होता है | मथुरा जिले की छाता तहसील में फालैनगांव का यह क्षेत्र भक्त प्रह्लाद का क्षेत्र कहलाता है और यहां पर पण्डा होलिका दहन के बाद अंगारों पर चलता है।

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