dr. j k gargअग्रवाल के 18 गोत्र एवं उनका नामकरण हममें से अधिकाक्षं लोगों कीमान्यता है कि अग्रवालों के 18 या साढ़े सत्तराह गोत्रो के नाम उनके 18 पुत्रों केनाम से रक्खें गये है किन्तु वास्तविकता में गोत्रो के नाम 18 यज्ञ करवानेवाले ऋषियों के नाम से है | महर्षि गर्ग ने भगवान अग्रसेन को 18पुत्र के साथ 18 यज्ञ करने कासंकल्प करवाया। माना जाता है कि इन 18 यज्ञों को ऋषि मुनियों ने सम्पन्न करवाया और इन्हींऋषि-मुनियों के नाम पर ही अग्रवंश के गोत्रों का नामकरण हुआ | प्रथम यज्ञके पुरोहित स्वयं गर्ग ॠषि बने, उन्होंने राजकुमार विभु को दीक्षित कर उन्हें गर्ग गोत्रसे मंत्रित किया। इस प्रकार अग्रवालों के 18 गोत्र हैं यथा गर्ग, तायल, कुच्चल, गोयन, भंदेल, मंगल, मित्तल, बंसल, बिंदल, कंसल, नागल, सिंघल, गोयल, तिंगल, जिन्दल, धारण, मधुकुल, एरेन | ॠषियों द्वारा प्रदत्त अठारह गोत्रोंको भगवान अग्रसेन के 18 पुत्रों के साथ भगवान द्वारा बसायी 18 बस्तियों केनिवासियों ने भी धारण कर लिया एक बस्ती के साथ प्रेम भाव बनाये रखने के लिए एकसर्वसम्मत निर्णय हुआ कि अपने पुत्र और पुत्री का विवाह अपनी बस्ती में नहीं दूसरीबस्ती में करेंगे। आगे चलकर यह व्यवस्था गोत्रों में बदल गई जो आज भी में प्रचलितहै। राज्य के उन्हीं 18 गणों सेएक-एक प्रतिनिधि लेकर उन्होंने लोकतांत्रिक राज्य की स्थापना की, जिसका स्वरूपआज भी हमें भारतीय लोकतंत्र के रूप में दिखाई पडता है। महाराजा अग्रसेन ने परिश्रमसे खेती, व्यापार एवंउद्योगों से धनोपार्जन के साथ-साथ उसका समान वितरण और आय से कम खर्च करने पर बलदिया। जहां एक ओरअग्रसेन जी ने वैश्य जाति को न्याय पूर्ण व्यवसाय का प्रतीक तराजू प्रदान कियावहीं दूसरी ओर उन्होंने अपनी प्रजा को आत्मरक्षा के लिए शास्त्रों के उपयोग कीशिक्षा भी प्रदान करवाई थी | कुलदेवीमहालक्ष्मी से परामर्श पर वे आग्रेय गणराज्य का शासन अपने ज्येष्ठ पुत्र विभु केहाथों में सौंपकर तपस्या करने चले गए।
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वर्तमान में अग्रवंशियो की संख्या लगभग आठ करोड़ है | अग्रसेन जी के वंशज आज भी उन्हीं की विचारधारा से प्रभावित होकर जनकल्याण के हितार्थ धर्मशाला, मंदिर,अनाथालय,अस्पताल पुस्तकालय, स्कूल एवं कालेज की स्थापना करने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं |
सच्चाई तो यही है कि महाराजा अग्रसेन ने अपने विशाल परिवार को हमेशा एकता के सूत्र मे बांध कर एकजुट रक्खा | इसलिए सम्राट अग्रसेनजी ने अपने आपको एक महान एवं सफल मेनेजमेंट गुरु के रूप में स्थापित किय| महाराजा अग्रसेन ओर माता माधवी ने अपने सभी 18 पुत्रों को श्रेष्ठतम संस्कार प्रदान किये थे | महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का प्रवर्तक ,अहिसां के पुजारी, सुयोग्य प्रशासकएवं आदर्श मेनेजमेंट गुरु के रूप में जाना जाता है आठ करोड़ से ज्यादाअग्रवालों के लिये उनके सिद्धांत हमेशा अनुकरणीय और प्रेरक बने रहेगें | याद
करने योग्य बात यह भी है सम्राट अकबर के नवरत्नों में दो नवरत्न अग्रवाल थे।अग्रसेनजी के 5141 वें जन्मदिवस पर कोटि कोटि प्रणाम |
डा. जे. के. गर्ग
पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर