सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल बाबा बादामशाह उवैसी

Badam Shah Dargah 2-बाबा बादामशाह उवैसी के उर्स पर विशेष-
अजमेर के निकट सोमलपुर में उवैसिया सिलसिले के आठवें गुरु बाबा बादामशाह की दरगाह है। वे यहां उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले के गालब गांव से यहां आए और नाग पहाड़ पर आठ साल तपस्या की। कुछ दिन फरीदा की बगीची व गढ़ी मालियान में भी रहे, लेकिन 1946 में सोमलपुर आ गए और मृत्युपर्यन्त 26 नवंबर 1965 तक यहीं रहे। हर साल इस्लामिक कलेंडर के मुताबिक 29 या 30 तारीख को उनका उर्स मनाया जाता है। इस दरगाह परिसर में बाबा साहब की मजार के अतिरिक्त मस्जिद, महफिलखाना व एक कोने में शिवजी का मंदिर है। दिलचस्प बात ये है कि शिवजी की पिंडी बाबा खुद लाए थे। इस लिहाज से यह सांप्रदायिक सौहाद्र्र की अनूठी मिसाल है।
बाबा बादाम शाह के ही शिष्य बाबा हरप्रसाद मिश्रा उवैसी की दरगाह डूमाड़ा रोड पर दौराई गांव में है। जब वे हयात थे, तब इसे रूहानी सत्संग आश्रम कहा जाता था। वे यहीं पर इबादत किया करते थे। सन् 2009 में 21 नवंबर को उनका विसाल हुआ। वे उवैसी सिलसिले के नौवें गुरु थे। दरगाह परिसर में ही बाबा हरप्रसाद मिश्रा के गुरुभाई श्री महेन्द्र मिश्रा की समाधि है। बाबा हरप्रसाद मिश्रा जी के उत्तराधिकारी बाबा रामदत्त मिश्रा का गत 24 अप्रैल, 2013 को विसाल हुआ। मात्र 20 वर्ष की उम्र से आध्यात्मिक साधना, चिंतन, मनन और गुरु भक्ति में आत्मलीन रहने वाले उवैसिया रूहानी सत्संग आश्रम के गुरुपद पर मात्र चार साढ़े चार वर्ष आसीन रहे।

1 thought on “सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल बाबा बादामशाह उवैसी”

  1. SATGURU DEV BABA HARPRASAD JI MISHRA UWAISI SAHAB KA VISAAL 22 NOV 2008 KO HUA THA. JO INFORMATION 21 NOV 2009 KI HAI WO GALAT HAI

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