आधुनिक शहरी जीवन शैली को अपनाते पशु

20375821_10203740569592458_4027879614517354335_nपालतू पशुओं को शहरीकरण से अलग करना असंभव सा लगता है चूंकि बरसों के एवोल्यूशन प्रोसेस में ये शहरों में जीना सीख चुके हैं । भले कितने ही पिंजरे पेनल्टी लगा लें, ये प्राणी हमारे साथ अधिकतर स्थानों पर विचरते देखे जा सकते हैं । इसमें हमारे पशु प्रेम और गहरे सामाजिक और धार्मिक संस्कारों का भी बहुत बड़ा हाथ है । शोर मचाते, गाड़ियां दौड़ाते, झुंझलाते-झगड़ते इंसानों से इतर, इन लोगो (?) ने शांतिपूर्वक और सुरक्षित रूप से सड़क पार करना भी सीख लिया है । घरों से मिलने वाला बचा खुचा भोजन, चौपाटी जैसी जगहों पर पुण्यात्माओं द्वारा दी जाने वाली ब्रेड या हरा चारा और चौमासे में हर ओर उग आई घास फूस इन्हें ज़िंदा रखे हुए है ।
अब देखना ये है कि इनका ये धैर्यपूर्ण बर्ताव इन्हें रेलवे स्टेशन, शॉपिंग मॉल आदि स्थानों पर भी आरक्षित एवम अधिकारपूर्ण विचरण की सुविधा उपलब्ध करवा पाता है या नहीं ।

अजमेर के जाने माने बुद्धिजीवी अनिल जैन की फेसबुक वाल से साभार

error: Content is protected !!