नर्मदा के दर्षन मात्र से व्यक्ति पवित्र हो जाता है

नर्मदा जयंती पर बिषेष
narmada-संजय अग्रवाल- नसरूल्लागंज/ देष की प्रमुख नदियों मे विषिष्ट स्थान प्राप्त मॉ नर्मदा के पुण्य प्रताप की महिमा अपारंपार है । देष की सभी नदियो मे नर्मदा को अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान देते हुऐ विभिन्न नामों से विभूषित किया गया है जैसे नर्मदा , नर्मदे, रेवाषंकरी, षिवतनया, षिवपुत्री, कुण्डोदरी,इंदुआ, रूद्रदेहा,जटाषंकरी,पष्चिम वाहनी गंगा, मेकलसुता, आंनददा जैसे अनेकों नामों से विख्यात मॉ नर्मदा को सभी प्रमुख नदियों से श्रेष्ठ माना गया है।
नर्मदा जयंती के बारे मे प्राप्त तथ्यों के आधार पर जिस समय देवलोक से पृथ्वीलोक पर गंगा का अवतरण हो रहा था उस समय गंगा ने गंभीरता के साथ अपने पति भगवान श्रीहरि विष्णु से कहा की हे नाथ ! संसार मे जाने पर जब संसार के समस्त जीवों की गंदगी जब हम मे समाहित हो जाऐगी तब हमारी स्थिति बड़ी ही अपवित्रता की हो जाएगी। इतना सुनते ही भगवान विष्णु ने बडे़ ही मुखरितता के साथ जबाब दिया कि हे देवी ! चिंता ना करों तुम्हारी पवित्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए पृथ्वी पर नर्मदा मौजूद है । जो तुम्हें अक्षुण्ण बनाये रखेगी जो तुम नर्मदा मे स्नान कर लेना तुम्हारी पवित्रता यथावत बनी रहेगी । कहा जाता है कि आज नर्मदा जयंती पर गंगा के साथ सभी नदियॉ नर्मदा मे देवताओं के साथ स्नान करने के लिऐ पहुचती है और स्नान कर पवित्र हो अपने गंतव्य को लौट जाती है सभी नर्मदा तटो पर यह पर्व असीम आस्था ,श्रद्धा भक्ति भाव सहित हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता है ।
‘‘¬ श्री रेवाय सर्वकल्याणकारिणी षिवस्वरूपाय नमः’’
नर्मदा का उदगम स्थल अमरकंटक जहां से उदगमित हो नर्मदा मध्य प्रदेष,महाराष्ट व गुजरात प्रान्तों के संास्कृतिक आर्थिक व समाजिक परिवेषांे को चिन्हित करते हुए 1312 किमी. की दुरी तय कर खम्भात की खाड़ी मे समाहित होती है। अपने इसी प्रवाह के दौरान मॉ नर्मदा कहीं सौदर्यरूप मे कही चंचल रूप मे तो कही रौद्र रूप मे दृष्टव्य होती है । इस 1312 किमी. के लम्बे सफर मे मॉ नर्मदा के ऑचल से बालू रेत रूपी अटूट खनिज संपदा भी निकलती है। जिससे न केवल भारत वर्ष को वल्कि नर्मदा तट पर वसे लाखों लोगो को अरबो रूपये का आर्थिक लाभ भी पहुचता है । नर्मदा की गोद मे ही तटो पर बसे लाखों लोगों को विभिन्न माध्यमों से रोजगार के अवसर मिलते है । इसके कछार मे पैदा होने वाले अन्न साग भाजी आदी का स्वाद ही निराला है यह जन जन को भौतिक व आध्यात्मिक पोषण भी देती है।
अपने 1312 किमी. लम्बे प्रवाह के दौरान सर्वाधिक 1077 किमी. मध्य प्रदेष व शेष अन्य राज्यों मे बहती है। उल्लेखनीय है कि नर्मदा ही एक मात्र परिक्रमा योग्य नदी है जिसकी परिक्रमा का क्रम 03 बर्ष 03 माह व 13 दिन का है। जिसके लिये मनुष्य अपना सर्वस्व त्याग कर 2600 किमी. की परिक्रमा भिक्षा मांग कर पूरी करता है। मध्य प्रदेष के अमरकंटक ,मण्डला, जबलपुर, ग्वारीघाट, ओंकारेष्वर, महेष्वर, वरमनघाट, होषंगावाद, ऑवलीघाट, नीलकंठ, नेमावर, आदि प्रमुख नर्मदा तट है जहा पहंुचकर लाखों श्रद्धालु स्नान कर पवित्र हो स्वर्ग की प्राप्ती करते है । रानी रूपमती नर्मदा की अनन्य भक्त थी एक बार राजा बाज बहादुर ने उनके समक्ष प्रणय प्रस्ताव रखा, तब रानी रूपमती ने उस प्रस्ताव को स्वीकार करने के पूर्व माण्डव के बीच नर्मदा पहुचाने की शर्त रखी, तब राजा बाज बहादुर ने उस प्रस्ताव के तहत वहा रेवा कुण्ड बनवाकर उसमे नर्मदा जल भरा था । जो आज भी रेवा कुण्ड के नाम से माण्डव मे मौजूद है। नर्मदा के महत्व को भगवत पुराण मे वर्णित करते हुए कहा गया है कि यमुना जी का जल एक सप्ताह मे, सरस्वती जी का जल तीन दिन मे गंगा जी का जल तत्काल पवित्र करता है लेकिन नर्मदा जल वह जल है जिसके दर्षन मात्र से व्यक्ति पवित्र हो जाता है। नर्मदा को कलयुग की गंगा भी कहा जाता है। इसीलिए कहा गया है-
‘‘मॉ नर्मदा है कलयुग की गंगा दर्षन से इनके मन हो जाए चंगा’’
आज नर्मदा पर उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़ किसी जलाषय मे स्नान की भीड़ नही होती, बल्कि नर्मदा की महिमा केे प्रति लोगों का विष्वास उनकी आस्था उनकी पूर्ण होती हुई मनोकामना ही तो है जो उन्हे बरवस नर्मदा की ओर खींच लाती है देष और प्रदेष के साथ व्यक्ति के विकास मे नर्मदा के द्वारा जो कुछ दिया गया है और जो दिया जा रहा है वह किसी चमत्कार से कम नही है। आज नर्मदा मे मौजूद खनिज संम्पदा यानि बालू रेत इस देष के नवनिमार्ण मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है नर्मदा मे प्रतिदिन हजारों ट्रक बालू रेत का जो दोहन हो रहा है वह देष और प्रदेष के साथ हजारों लोगो का विकास कर रहा है । लेकिन नर्मदा क्षेत्र मे सक्रिय रेत माफिया मॉ नर्मदा का इतनी तीव्र गति से इस प्रकार दोहन कर रहे है कि आने वाले समय मे मॉ नर्मदा का ऑचल ही इस अटूट संपदा से खाली कर देगे ? शासन और प्रषासन इन माफियाओं के आगे नतमस्तक है ऐसी स्थिति मे मॉ नर्मदा ही कुछ कर सकती है । जिससे उनका अत्यधिक दोहन रूक सके नर्मदा तट पर मौजूद केवटों मछुवारोें का पालन पोषण भी नर्मदा द्वारा हो रहा है बिजली उत्पादन के लिये धोपे गये बड़े बड़े बांध हजारों मेगावाट बिजली तो पैदा कर रहे है लेकिन यह पर्यावरण एवं नर्मदा के लिए अच्छा नहीं है । क्योंकि नर्मदा की वेग को रोकना या मोड़ना कहीं ना कही उनकी महत्ता केा अवष्य प्रवाभित करता है। जिसके परिणाम नर्मदा तटिय क्षेत्रों केा भूकम्प या भूगर्र्भीय धमाको के रूप मे झेलना होगे जो जन मानस के हित मे नही है नर्मदा को हम नर्मदा ही रहने दे उनके महत्तव को कम करने की कोषिष ना करे वही सभी के हित मे है नर्मदा को हम देष की महत्वपूर्ण धरोहर मानते हुये आज हम संकल्प करें की हम नर्मदा को नर्मदा ही रहने देगे उनके वेग के साथ छेड़छाड़ नही करेंगे। अमरकंटक से समुद्र तक लाखो लोगो का भरण पोषणकरने वाली जगत जन पाविनि पूर्णदायनी मॉ नर्मदा को शत् शत् नमनः।
‘‘ त्वदीय पाद पंकजम् नमामि देवी नर्मदे ! ’’

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