चंद्रग्रहण पर करें ग्रहण दोष से मुक्ति के उपाय

dayanand shashtri 3हमारे ज्योतिष शास्त्रों ने चंद्रमा को चौथे घर का कारक माना है. यह कर्क राशी का स्वामी है. चन्द्र ग्रह से वाहन का सुख सम्पति का सुख विशेष रूप से माता और दादी का सुख और घर का रूपया पैसा और मकान आदि सुख देखा जाता है. चंद्रमा दुसरे भाव में शुभ फल देता है और अष्टम भाव में अशुभ फल देता है ।।
पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार चन्द्र ग्रह वृषभ राशी में उच्च और वृश्चक राशी में नीच का होता है. जन्म कुंडली में यदि चन्द्र राहू या केतु के साथ आ जाये तो वे शुभ फल नहीं देता है.ज्योतिष ने इसे चन्द्र ग्रहण माना है, यदि जन्म कुंडली में ऐसा योग हो तो चंद्रमा से सम्बंधित सभी फल नष्ट हो जाते है माता को कष्ट मिलता है घर में शांति का वातावरण नहीं रहता जमीन और मकान सम्बन्धी समस्या आती है.

जानिए क्या होता हैं ग्रहण दोष..???
ग्रहण योग को वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बनने वाला एक अशुभ योग माना जाता है जिसका किसी कुंडली में निर्माण जातक के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समस्याएं पैदा कर सकता है। वैदिक ज्योतिष में ग्रहण योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कुंडली में सूर्य अथवा चन्द्रमा के साथ राहु अथवा केतु में से कोई एक स्थित हो जाए तो ऐसी कुंडली में ग्रहण योग बन जाता है। कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि किसी कुंडली में यदि सूर्य अथवा चन्द्रमा पर राहु अथवा केतु में से किसी ग्रह का दृष्टि आदि से भी प्रभाव पड़ता हो, तब भी कुंडली में ग्रहण योग बन जाता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि यदि किसी कुंडली में सूर्य अथवा चन्द्रमा पर राहु अथवा केतु का स्थिति अथवा दृष्टि से प्रभाव पड़ता है तो कुंडली में ग्रहण योग का निर्माण हो जाता है जो जातक के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उसे भिन्न भिन्न प्रकार के कष्ट दे सकता है।
सामान्यतः ग्रहण का शाब्दिक अर्थ है अपनाना ,धारण करना ,मान जाना आदि .ज्योतिष में जब इसका उल्लेख आता है तो सामान्य रूप से हम इसे सूर्य व चन्द्र देव का किसी प्रकार से राहु व केतु से प्रभावित होना मानते हैं . .पौराणिक कथाओं के अनुसार अमृत के बंटवारे के समय एक दानव धोखे से अमृत का पान कर गया .सूर्य व चन्द्र की दृष्टी उस पर पड़ी और उन्होंने मोहिनी रूप धरे विष्णु जी को संकेत कर दिया ,जिन्होंने तत्काल अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया .इस प्रकार राहु व केतु दो आकृतियों का जन्म हो गया . अब राहु व केतु के बारे में एक नयी दृष्टी से सोचने का प्रयास करें .राहु इस क्रम में वो ग्रह बन जाता है जिस के पास मात्र सिर है ,व केतु वह जिसके अधिकार में मात्र धड़ है .स्पष्ट कर दूं की मेरी नजर में ग्रहण दोष वहीँ तक है जहाँ राहु सूर्य से युति कर रहे हैं व केतु चंद्रमा से .इस में भी जब दोनों ग्रह एक ही अंश -कला -विकला पर हैं तब ही उस समय विशेष पर जन्म लेने वाला जातक वास्तव में ग्रहण दोष से पीड़ित है
अगर आकड़ों की करें तो राहु केतु एक राशि का भोग 18 महीनो तक करते हैं .सूर्य एक माह एक राशि पर रहते हैं .इस हिसाब से वर्ष भर में जब जब सूर्य राहु व केतु एक साथ पूरा एक एक महीना रहेंगे तब तब उस समय विशेष में जन्मे जातकों की कुंडली ग्रहण दोष से पीड़ित होगी .इसी में चंद्रमा को भी जोड़ लें तो एक माह में लगभग चन्द्र पांच दिन ग्रहण दोष बनायेंगे .वर्ष भर में साठ दिन हो गए .यानी कुल मिलाकर वर्ष भर में चार महीने तो ग्रहण दोष हो ही जाता है
—ज्योतिषीय विचारधारा के अनुसार चन्द्र ग्रहण योग की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है,चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है,माँ के सुख में कमी आती है, कार्य को शुरू करने के बाद उसे अधूरा छोड़ देना लक्षण हैं, फोबिया,मानसिक बीमारी, डिप्रेसन ,सिज्रेफेनिया,इसी योग के कारण माने गए हैं, मिर्गी ,चक्कर व मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है.
—-चन्द्र+केतु ,सूर्य+राहू ग्रहण योग बनाते है..इसी प्रकार जब चंद्रमा की युति राहु या केतु से हो जाती है तो जातक लोगों से छुपाकर अपनी दिनचर्या में काम करने लगता है . किसी पर भी विश्वास करना उसके लिए भारी हो जाता है .मन में सदा शंका लिए ऐसा जातक कभी डाक्टरों तो कभी पण्डे पुजारियों के चक्कर काटने लगता है .अपने पेट के अन्दर हर वक्त उसे जलन या वायु गोला फंसता हुआ लगता हैं .डर -घबराहट ,बेचैनी हर पल उसे घेरे रहती है .हर पल किसी अनिष्ट की आशंका से उसका ह्रदय कांपता रहता है .भावनाओं से सम्बंधित ,मनोविज्ञान से सम्बंधित ,चक्कर व अन्य किसी प्रकार के रोग इसी योग के कारण माने जाते हैं ।।
कुंडली चंद्रमा यदि अधिक दूषित हो जाता है तो मिर्गी ,पागलपन ,डिप्रेसन,आत्महत्या आदि के कारकों का जन्म होने लगता हैं ।।
पंडित दयानन्द शास्त्री के मुताबिक चूँकि चंद्रमा भावनाओं का प्रतिनिधि ग्रह होता है .इसकी राहु से युति जातक को अपराधिक प्रवृति देने में सक्षम होती है ,विशेष रूप से ऐसे अपराध जिसमें क्षणिक उग्र मानसिकता कारक बनती है . जैसे किसी को जान से मार देना , लूटपाट करना ,बलात्कार आदि .वहीँ केतु से युति डर के साथ किये अपराधों को जन्म देती है . जैसे छोटी मोटी चोरी .ये कार्य छुप कर होते है,किन्तु पहले वाले गुनाह बस भावेश में खुले आम हो जाते हैं ,उनके लिए किसी विशेष नियम की जरुरत नहीं होती .यही भावनाओं के ग्रह चन्द्र के साथ राहु -केतु की युति का फर्क होता है ।।

पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार राहु आद्रा -स्वाति -शतभिषा इन तीनो का आधिपत्य रखता है ,ये तीनो ही नक्षत्र स्वयं जातक के लिए ही चिंताएं प्रदान करते हैं किन्तु केतु से सम्बंधित नक्षत्र अश्विनी -मघा -मूल दूसरों के लिए भी भारी माने गए हैं .राहु चन्द्र की युति गुस्से का कारण बनती है तो चन्द्र – केतु जलन का कारण बनती है ।।

जिस जातक की जन्म कुंडली में दोनों ग्रह ग्रहण दोष बन रहे हों वो सामान्य जीवन व्यतीत नहीं कर पाता ,ये निश्चित है .कई उतार-चड़ाव अपने जीवन में उसे देखने होते हैं .मनुष्य जीवन के पहले दो सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रहों का दूषित होना वास्तव में दुखदायी हो जाता है ।।
ध्यान दें की सूर्य -चन्द्र के आधिपत्य में एक एक ही राशि है व ये कभी वक्री नहीं होते . अर्थात हर जातक के जीवन में इनका एक निश्चित रोल होता है .अन्य ग्रह कारक- अकारक ,शुभ -अशुभ हो सकते हैं किन्तु सूर्य -चन्द्र सदा कारक व शुभ ही होते हैं .अतः इनका प्रभावित होना मनुष्य के लिए कई प्रकार की दुश्वारियों का कारण बनता है ।।

जानिए ग्रहण योग के लक्षण—

—दूसरो को दोष देने की आदत

— वाणी दोष से सम्बन्ध ख़राब होते जाते है ,सम्बन्ध नहीं बचते

—-सप्तम भाव का दोष marriage सुख नहीं देता

—प्रथम द्वितीय नवम भाव में बनने वाले दोष भाग्य कमजोर कर देते है ,बहुत ख़राब कर देते है लाइफ में हर चीज़ संघर्ष से बनती है या संघर्ष से मिलती है ,

—मन हमेशा नकारात्मक रहता है ,

—हमेशा आदमी depression में रहता है,

–कभी भी ऐसे आदमी को रोग मुक्त नहीं कहा जा सकता

–पैरो में दर्द होना , दूसरे को दोष देना ,खाने में बल निकलते है ,

—उपाय —

—त्रयोदशी को रुद्राभिषेक करे specially शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को

—खीरा कब्ज दूर करता है ,liver मजबूत करता है ,पित्त रोग में फायदा करता है ,जो लोग FAT कम करना चाहे उनको फायदा करता है, किडनी problems में फायदा करता है

–ग्रहण योग वाले आदमी के पास काफी उर्जा होती है यदि वो उसे +वे कर ले तो जीवन में अच्छी खासी सफलता मिल जाती है

–ग्रहण योग के लक्षण—

—-घर में अचानक आग लग जाये या चोरी हो जाये

—12th house में चंद्रमा after marriage गरीबी दे देगा

जानिए ग्रहण योगों को +ve करने का तरीका—

—गुरु के सानिध्य में रहे ,

—-मंदिर आते जाते रहे ,

—हल्दी खाते रहे ,

—-गाय के सानिध्य में रहे ,

—सूर्य क्रिया एवं चन्द्र क्रिया दोनों नियमित करे ,

—घर के पश्चिमी हिस्से की सफाई करे ,मंगल वार शनिवार को श्रम दान करे ,

—-चांदी का चौकोर टुकड़ा अपनी जेब में रखे यदि माँ के हाथ से मिला हो तो और भी अच्छा है ,

—संपत्ति अपने नाम से न रखे किसी और को पार्टनर बना ले या किसी और के नाम पे रख दे ,

—-कुत्ते की सेवा करे पैसा किसी शुभ काम में खर्च करे ,

किसी जन्म कुंडली में चन्द्र ग्रहण योग निवारण का एक आसान उपाय ( इसे ग्रहण काल के मध्य में करे)—
1 किलो जौ दूध में धोकर और एक सुखा नारियल चलते पानी में बहायें और 1 किलो चावल मंदिर में चढ़ा दे, अगर चन्द्र राहू के साथ है और यदि चन्द्र केतु के साथ है तो चूना पत्थर ले उसे एक भूरे कपडे में बांध कर पानी में बहा दे और एक लाल तिकोना झंडा किसी मंदिर में चढ़ा देवें।।
==============================
चूँकि यह चंद्र ग्रहण सोमवार (28सितम्बर,2015) को हो रहा हैं इसलिए यह ग्रहण “चूड़ामणि चंद्रग्रहण” कहलाएगा॥ ‘चूड़ामणि चंद्रग्रहण’ का स्नान, दान आदि की दृष्टी से विशेष महत्त्व होता हैं अतः जिन क्षेत्र में यह ग्रहण दिखाई देगा वहां इस इस प्रकार के दान का विशेष महत्त्व होगा॥
श्राद्ध पक्ष की पूर्णिमा चंद्र ग्रहण होने से इसका महत्त्व बहुत बढ़ गया हैं।। इस दिन उज्जैन स्थित प्राचीन सिद्धवट तीर्थ पर ( मध्यप्रदेश) आकर अपनी जन्म कुंडली, चंद्र कुंडली और नवमांश कुंडली में स्थित ग्रहण दोष के साथ साथ पितृदोष या कालसर्प दोष/ याग की शांति, त्रिपिंडी श्राद्ध, नागबलि– नारायण बाली श्राद्ध कर्म करवाने से पितरों को मुक्ति मिलती हैं।।।
इस बार का यह “चूड़ामणि चंद्रग्रहण” मीन राशि और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हो रहा हैं। इसलिए यह ग्रहण इस राशि और नक्षत्र वाले व्यक्तियों के लिए अधिक पीड़ा परेशनिदायक हैं॥ इस मीन राशि के अलावा मेष, मिथुन, कर्क, कन्या,तुला, वृश्चिक एवम कुम्भ राशि वालों को भी सावधानी रखनी चाहिए॥
पण्डित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार जिन राशि या नक्षत्र वाले जातकों को उनकी जन्म (लग्न)कुंडली, चंद्र कुंडली या नवमांश कुंडली में इस प्रकार के ग्रहण दोष हैं उन्हें इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।। यदि उनकी कुंडली में ग्रहण दोष हैं तो उज्जैन स्थित सिद्धवट तीर्थ पर आकर उसके निवारणार्थ शास्त्रोक्त पूजन करवाना चाहिए।।
शभम भवतु॥ कल्याण हो।।

10 thoughts on “चंद्रग्रहण पर करें ग्रहण दोष से मुक्ति के उपाय”

  1. राहु युति चंद्र का पूर्ण रूपेण उपाय

  2. मीन लग्न और लग्न में राहु सूर्य गुरु बुध सप्तम भाव में चन्द्र केतु उपाय बताये

  3. sir pranam,
    mera janm 5/7/1976 time 1.55pm bharatpur RAj me huya hei mera koi bhi kam nhi hota he tatha har kam me rukavat aati he kripa margdarshan kare mera mob no 9460966870 he Thanks

  4. My d.o.b 5/12/1977 Time 11:05 night place: Agartala, Tripura please let me know my astrology report with remedies. When I will get a satisfactory job.

  5. My date of birth 03.06.1973
    Time: 5:05 AM
    Birth Place: Haridwar (Uttarakhand)

    Chandra Grahan ke liye kya karu Please bataiye

Comments are closed.

error: Content is protected !!