राजस्थान के जन के देव —-बाबा रामदेव—रामसापीर Part 1

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
बाबा रामदेव का प्रसिद्ध रामदेवरा का दसदिवसीय मेला इस वर्ष 23 अगस्त 2017 से 3 सितम्बर (भादवा शुक्ला दूज से भादवा शुक्ला एकादशी) तक मनाया जायगा | विक्रम संवत 1400 के आसपास भारत में लूट खसोट, छुआछूत, हिंदू-मुस्लिम झगडों आदि के कारण स्थितियाँ बड़ी भयावह बनी हुई थी जिससे जनसाधारण दुखी और निसहाय था|विक्रम संवत1409 की भादवा शुक्ल दूज के दिन पश्चिम राजस्थान के पोकरण शहर के नजदीक रुणिचा नामक स्थान में तोमर वंशीय राजपूत और रुणिचा के शासक अजमाल जी के घर बाबा रामदेव पीर का अवतार हुआ | रामदेवजी ने देश में में व्याप्त अत्याचार,ईर्ष्या,वैरभाव,छुआछूत का विरोध कर अछूतोद्धार का सफल आन्दोलन चलाया और हिन्दू-मुसलमानों के मध्य भाईचारा स्थापित करने में उल्लेखनीय योगदान दिया। इसी वजह से बाबा रामदेव को जहाँ हिन्दु देवता के रूप में पूजते है वहीं दुसरी तरफ मुस्लिम भाई उन्हें रामसा पीर कहते हैं । राजस्थान के जनमानस में पॉँच पीरों यथा पाबू हडू रामदे ए माँगाळिया मेहा पांचू पीर पधारजौ ए गोगाजी जेहा की जनमानस के दिलों के अन्दर प्रतिष्ठा और सम्मान है जिनमे बाबा रामसा पीर का प्रमुख स्थान है।
भगवान क्रष्ण के भक्त राजा अजमल ने पुत्र प्राप्ति के लिये दान पुण्य किये और अनेको यज्ञ किये | कहा जाता है कि द्वारकाजी में अजमल जी को भगवान के साक्षात दर्शन हुए तब राजा अजमल ने कहा कि“प्रभु” अगर आप मेरी भक्ति से प्रसन्न हैं तो आपको मेरे घर पुत्र बनकर आना पड़ेगा और भैरव राक्षस को मारकर धर्म की स्थापना करनी होगी। भगवान द्वारकानाथ ने राजा अजमल ने कहा मैं तुम्हे वचन देता हूँ कि तुम्हारा पहला बेटा विरमदेव होगा और दूसरे बेटे के रूप में मै खुद तुम्हारे आपके घर आउंगा। राजा अजमल बोले हे प्रभू आप मेरे घर आओगे तो हमें कैसे ज्ञात होगा कि परमपिता परमात्मा ने मेरे घरमें जन्म लिया है इसके प्रत्युतर मै द्वारकानाथ ने कहा कि जिस रात मैं तुम्हारे घर पर आउंगा उस रात आपके राज्य के जितने भी मंदिर है उसमें घंटियां अपने आप बजने लग जायेगी,महल में जो भी पानी होगा वह दूध में बदल जाएगा तथा मुख्य द्वार से जन्म स्थान तक कुमकुम के पैर नजर आयेंगे वहीं आकाशवाणी भी सुनाई देगी और में रामदेवजी के नाम से प्रसिद्ध हो जाउँगा। कहा जाता है कि श्री रामदेवजी के जन्म लेते ही ऐसी सभी चमत्कारिक घटनाये घटित हुई | संवत् 1425 में रामदेवजी ने पोकरण से 12 कि०मी० उत्तर दिशा में गाँव रूणिचा बसा दिया था | संवत् 1426 में अमर कोट के ठाकुर दल जी सोढ़ की पुत्री नैतलदे के साथ श्री रामदेव जी का विवाह हुआ।
प्रस्तुतिकरण—-डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—– इतिहासकार मुंहता नैनसी का ग्रन्थ “मारवाड़ रा परगना री विगत”, मेरी डायरी के पन्ने,विभिन्न पत्र पत्रिकायें आदि

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