पिछले दिनों प्ले कार्ड और काली पट्टी को लेकर लोकसभा स्पीकर ने कांग्रेस के 25 सांसदों को निलंबित कर दिया। निलंबन के विरोध में कांग्रेस पार्टी हर दिन संसद मैं गांधी प्रतिमा के सामने धरना दे रही है। सोनिया और राहुल गांधी स्पीकर के फैंसले को लोकतंत्र कि हत्या बता रहे हैं। क्या स्पीकर का निलंबन का फैंसला वास्तव में लोकतंत्र कि हत्या हैघ् यह देश कि जनता और दुनिया देख रही है। हर दिन कांग्रेस का संसद में धरना और नारे चल रहे हैंए खुद सोनियां गांधी नारे लगा रहीं हैं। उसी समय गुरुवार को सुषमा स्वराज ने लोकसभा मैं अपनी चुप्पी तोड़ी। सुषमा ने बिना मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के लोकसभा में अपनी चुप्पी तोड़ी और उन्होंने कहा कि उन्होंने आईपीएल के पूर्व चेयरमैन की नहीं बल्कि कैंसर से पीड़ित उनकी पत्नी की मदद की थी। इस मामले में विदेश मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही कांग्रेस अध्यक्ष के पाले में गेंद डालते हुए सुषमा स्वराज ने लोकसभा मैं कहा कि अगर सोनिया गांधी उनकी जगह होतीं तो क्या वे उस महिला को मरने के लिए छोड़ देतीं। वास्तव मैं सवाल यही है कि अगर सोनिया गांधी सुषमा स्वराज कि जगह होती तो क्या करतीघ् सुषमा स्वराज के इस सवाल का जवाब सोनिया गांधी को देना चाहिए। और बताना चाहिए कि क्या एक कैंसर से पीड़ित महिला की मदद करना अपराध है। अगर अपराध है तो सुषमा स्वराज संसद मैं पूरे देश के सामने अपना गुनाह कबूल कर चुकी हैं और कह चुकी हैं कि अगर एक कैंसर से पीड़ित महिला की मदद करना अपराध है तो इसके लिए सदन उन्हें जो सजा देना चाहे वे भुगतने के लिए तैयार हैं। अगले ही दिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा दिए गए बयान पर राहुल गांधी ने तंज कस्ते हुए कहा कि विदेश मंत्री ने छिपकर ललित मोदी को मदद पहुंचाने का काम कियाए जिसके ऐवज में सुषमा को कितने पैसे मिले। लेकिन यही सवाल राहुल गांधी से पूछा जाए कि राहुल गांधी कैंसर से पीड़ित महिला की मदद करने के एवज मैं कितने पैसे खाते। या अब तक खाए हैं। सोनिया ने जवाब देते हुए कहा कि सुषमा स्वराज नाटक करने में माहिर हैं। लेकिन संसद मैं जो हो रहा है। क्या यह सोनिया गांधी का नाटक नहीं हैघ् इसका जवाब भी जनता देगी। कौन नाटक कर रहा हैघ् और कौन कितने पैसे खा रहा हैघ् और किस ने कितने खाए हैंघ् सोनिया गांधी और राहुल गांधी को सुषमा स्वराज पर ऐसे आरोप लगाने से पहले यह बताना चाहिए कि भोपाल गैस त्रासदी के आरोपी एंडरसन और बोफोर्स घोटाले के आरोपी क्वात्रोची को भगाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने कितने पैसे खाएघ्
राहुल गांधी और सोनिया गांधी को यह मालूम होना चाहिए कि मीडिया मैं सवाल दागना बहुत आसान होता है। लेकिन संसद मैं जवाब देना उतना ही मुशिकल होता लेकिन कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगायें हैं कि सुषमा स्वराज ने ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज देने का ब्रिटिश सरकार से अनुरोध किया है। लेकिन सुषमा स्वराज पूरे देश के सामने सदन में कह चुकी हैं कि कांग्रेस के आरोप असत्यए गलत और निराधार हैं और उन्होंने ऐसे किसी दस्तावेज के लिए ब्रिटिश सरकार से सिफारिश नहीं की है। हालांकि सुषमा स्वराज ने लोकसभा मैं कहा कि उन्होंने केवल इतना कहा था कि यदि ब्रिटिश सरकार ललित मोदी को यात्रा के दस्तावेज देती है तो इससे हमारे दोनों देशों के रिश्ते खराब नहीं होंगे। सुषमा स्वराज ने लोकसभा में अपने वक्तव्य मैं कांग्रेस पार्टी को चुनौती देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी के पास ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज देने के लिए ब्रिटिश सरकार को सिफारिश करने का उनके खिलाफ लिखित सबूत हैं तो देश के सामने रखें। इसके लिए वो हर सजा भुगतने के लिए तैयार हैं। सोचने वाली बात है कि कांग्रेस पार्टी अगर सुषमा स्वराज का इस्तीफा मांग रही है तो उनके पास कुछ तथ्य होंगे ही। लेकिन उन तथ्यों को कांग्रेस पार्टी जनता के सामने क्यों नहीं रख रही है। इसका जवाब सोनिया और राहुल को देना चाहिए। और संसद में चर्चा में भाग लेना चाहिए। पूरे देश के सामने अपने तथ्यों को रखना चाहिए। लेकिन कांग्रेस पार्टी तो प्ले कार्ड दिखाने और नारे लगाने के अलावा कुछ काम ही नहीं कर रही है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी अपने आपको और राहुल गांधी को खड़ा करने के लिए ऐसा कर रही है।
असली विपक्षी वही होता है जो अपने धारदार तर्कों से सत्ता पक्ष को दाँतों तले ऊँगली दबाने को मजबूर कर दे। लेकिन प्रमुख विपक्षी दल खासकर कांग्रेस पार्टी ऐसा कुछ नहीं कर रही है। ऐसा लग रहा है कि विपक्ष का संसद और लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं मैं विश्वास काम हो गया है। और वह संवैधानिक फैंसलों को लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं। संसद सत्र आखिरी पड़ाव पर है सिर्फ एक हपता बचा है। लेकिन मुख्य विपक्षी दल किसी भी बहस के लिए तैयार नहीं है।
यह बड़ी ही विडम्बना है कि देश कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधि उसी जनता के पैसे को बर्वाद कर रहे हैं। सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीति को चमकाने के लिएए अगर आने वाले समय मैं ऐसा ही चलता रहा तो यह देश के संविधान और लोकतंत्र को चुनौती देने वाली बात होगी। सांसद लोकसभा के स्पीकर के बार.बार आग्रह के बाबजूद सांसद प्ले कार्ड नहीं हटाते हैं। और लोकसभा स्पीकर द्वारा निलंबित किये जाने पर इसे लोकतंत्र कि हत्या और संविधान विरोधी बताते हैं। अगर जन प्रतिनिधियों का संसद में यही रवैया चलता रहा तो आने वाले समय मैं देश के लोगों का देश कि संसदीय परम्परा से विश्वास उठ जाएगा। अच्छा यही होगा कि पक्ष और विपक्ष संसद मैं हर मसले को चर्चा कर सुलझाएं। जिससे कि संसद मैं काम हो सके और जनता का पैसा बर्वाद होने से बच सके। जनता का विश्वास फिर से संसदीय परम्पराओं मे बढे। अगर संसद मैं काम नहीं होता है तो सांसदों के भत्ते काटने पर विचार होना चाहिए।
. ब्रह्मानंद राजपूत दहतोराए आगरा
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