छीनी जा रही है गैस सब्सिडी
पीएम नरेन्द्र मोदी ने 20 सितम्बर को रेडियो पर एक बार फिर अपनी मन की बात कही। पीएम ने बड़े गर्व से सकहा कि मैंने रसोई गैस की सब्सिडी छोडऩे की जो अपील की थी, उसे देशवासियों ने स्वीकार किया और अब तक कोई तीस लाख उपभोक्ता सब्सिडी छोड़ चुके हैं। प्रधानमंत्री जी आप इस तीस लाख के आंकड़ें पर गर्व कर सकते हैं,लेकिन मैं यह भी बताना चाहंूगा की इस तीस लाख में ऐसे लाखों उपभोक्ता होंगे, जिनसे सब्सिडी छीन ली गई है। यानि ऐसे उपभोक्ताओं ने स्वेच्छा से सब्सिडी नहीं छोड़ी है। आपको पता ही है कि आईटी के इस दौर में अब गैस की बुकिंग ऑन लाइन होती है। यानि आप फोन पर उपभोक्ता नम्बर दर्ज करवा कर बुकिंग करा सकते हैं। बड़ी संख्या में लोग ऑन लाइन बुकिंग ही करवा रहे हंै,लेकिन तेल कंपनियों ने आपको खुश करने के लिए रसोई गैस की बुकिंग से पहले गैस सब्सिडी छोडऩे का प्रस्ताव दे रखा है। यह प्रस्ताव कुछ इस प्रकार है कि उपभोक्ता कंपनियों के चक्कर में फंस जाता है। उपभोक्ता को लगता है कि वह गैस की बुकिंग करवा रहा है, लेकिन एक नम्बर का बटन दबाने पर उपभोक्ता की सब्सिडी छीन जाती है। उपभोक्ता यह समझ ही नहीं पाता कि वह सब्सिडी छोड़ रहा है या बुकिंग करा रहा है। परेशानी की बात तो तब होती है, जब संबंधित गैस एजेंसी और तेल कंपनी के अधिकारी भी कोई सुनवाई नहीं करते हैं। आप चाहे तो गुप्त तौर पर पता करवा लें कि सब्सिडी छीनने से कितने उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं।
मुझे पता है कि एक आम उपभोक्ता की तरह आपको फोन पर गैस बुकिंग नहीं करवानी पड़ती है। मेरा आपसे आग्रह है कि आप एक बार ऑन लाइन गैस बुकिंग कराएं। आप खुद गफलत में पड़ जाएंगे। यदि आपको गरीब उपभोक्ता का थोड़ा भी ख्याल है तो गैस बुकिंग और सब्सिडी छोडऩे के प्रस्ताव को अलग-अलग कर देना चाहिए। क्यों आपकी सरकार भ्रम में डालकर सब्सिडी छीनने का काम कर रही है? आप पता कर लें तेल कंपनियां जिन उपभोक्ताओं की सब्सिडी धोखे से छीन रही है, उन उपभोक्ताओं की आपके प्रति गहरी नाराजगी है। महंगाई की वजह से आम लोगों का जीवन वैसे ही दूभर हो रहा है, ऐसे में मध्यम वर्गीय परिवार भी सब्सिडी छोडऩे का इच्छुक नहीं है। मुझे पूरी उम्मीद है कि तेल कंपनियों के अधिकारियों ने आपको सब्सिडी छीनने वाली बात नहंी बताई होगी। आप तो गरीबी से वाकिफ हैं, ऐसे में सब्सिडी का प्रस्ताव आप कभी भी गैस बुकिंग के साथ नहीं जोड़ते। मेरा सुझाव है कि जो उपभोक्ता संबंधित एजेंसी पर जाकर फार्म भरे उसकी ही सब्सिडी बंद की जाए। जिन लोगों ने कंपनियों के धोखे में आकर सब्सिडी छोडऩे का प्रस्ताव कर दिया, उनकी सब्सिडी वापस शुरू की जाए। अधिकारियों को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे आपकी बदनामी होती हो। आम उपभोक्ता से पहले देश के सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों को सब्सिडी छोडऩे की घोषणा करनी चाहिए। एक ओर लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं की केंटीन में सांसद और विधायक सब्सिडी वाला खाना खा रहे हैं, तो दूसरी ओर गरीब उपभोक्ता की गैस सब्सिडी जबरन छीनी जा रही है। आप कम से कम सांसदों और विधायकों की मुफ्त खोरी को बंद करवाएं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511
