सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर प्रधान मंत्री जी ने उत्तर प्रदेश एक जिले सहारनपुर से विकास पर्व का शुभारम्भ करते हुए 26 मई 2016, कहा कि , मैंने देश के प्रधान सेवक के रूप में आज के दिन ही देश सेवा की सपथ ली थी , मई अब यू पी वाला हूँ , यू पी से ही !सांसद हूँ । आज जनता को दो साल का हिसाब देने आया हूँ । साथ ही प्रधान मंत्री जी ने ऐलान किया कि डॉक्टरों की सेवा निवृति की उम्र बढ़ा कर 65 वर्ष कर दी जायेगी । इस घोषणा को मूर्त रूप देने के लिए सरकार ने 31 मई को शासनादेश भी जरी कर दिया जिसके कारण 31 मई को सेवा निवृत होने वाले कुछ डॉक्टरों को सेवा विस्तार भी मिल ही गया ?
लेकन वास्तविकता यह है की मोदी जी की यह घोषणा केवल केंद्र सरकार के आधीन कार्य करने वाले डॉक्टरों को ही मिलेगी इससे PMS डॉक्टरों को कोई फायदा नहीं होगा उसके लिए राज्य सरकारे अलग से कानून बनाएंगी ? इसी कारण से PMS संवर्ग के डॉक्टर्स अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं ?
प्रधान मंत्री जी की घोषणा में यह भी कहा गया था की डॉक्टरों की सेवा निवृति उम्र बढ़ने से जनता को उनके अनुभवों का लाभ मिलेगा बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी ? जब की सचाई यह है की भारत सरकार के अंतर्गत चलने वाली CGHS डिस्पेंसरियां देश के केवल 20 राज्यों के 25 शहरों में ही संचालित होती है और उनका विस्तार केवल इतना है एक राज्य में केवल एक डिस्पेंसरी , सबसे अधिक दिल्ली जहाँ लघभग 15 लाख सरकारी कर्मचारी लाभान्वित होते है और बाकि के 30 लाख केंद्रीय कर्मचारी पुरे देश में लाभ उठाते है ? जिसमे यू पी में 5 शहर महाराष्ट्र में 3 मध्य प्रदेश के 3 ? यह डिस्पेंसरियां केवल वेलनेस सेंटर कहलाती है इसमें कोई विशेसज्ञ डॉक्टर नहीं होते गंभीर बिमारियों के लिए अस्पताल या एम्पेनल्ड नर्सिंग होमो में जाना पड़ता है ? इसलिये इन डॉक्टरों की सेवा निवृति की उम्र बढ़ाना कोई समझदारी का काम नहीं लगता ? इसलिए अगर पीएमएस संवर्ग के डॉक्टरों की सेवा निवृति की उम्र बढ़ती तो जनता को उसका लाभ मिलता । अतः प्रधान मंत्री द्वारा cghs डॉक्टरों की सेवानिवृति की उम्र बढ़ने की घोषणा सार्वजानिक मंच से करना जनता से ठगी करने जैसा कृत्य ही कहा जायेगा ?
एस. पि. सिंह, मेरठ।