न पांच किलो गेंहू मिला, न ही 150 दिन का काम
फ़िरोज़ खान बारां, ( राजस्थान ) ,जयपुर, 4 जून/ राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर रही है. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश देने के बाद भी प्रदेश में सूखा प्रभावित क्षेत्रों में परिवारों को 5 किलो गेंहूँ नहीं दिया है. न ही मनरेगा में 150 दिन का काम दिया. सूचना एवं रोज़गार का अधिकार अभियान की ओर से 1 जून से शहीद स्मारक पर दिए जा रहे धरने के चौथे दिन ये मुद्दे उभर कर आये. प्रदेश के कोने-कोने से धरने में बैठे लोगों ने सरकार से मांग की कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को क्रियान्वित करे. सूखे से प्रभावित हर परिवार को 5 किलो गेंहूँ उपलब्ध करवाएं अन्यथा राज्य व जिला स्तर पर आन्दोलन करेंगे.
धरना स्थल पर आज अकाल व सूखे के हालात पर लगातार दूसरे दिन जनसुनवाई हुई. लोगों ने कहा कि हमें सूखे से राहत नहीं बल्कि मुक्ति चाहिए. अभियान से जुड़े निखिल डे ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान की जनता से पूछकर अकाल नीति बने. सरकार द्वारा जो भी नीतियां व कानून बनाये जाते हैं उनमें जनता की भागीदारी हो.
जन सुनवाई में लोगों ने निम्न प्रस्ताव लिए –
१. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अकाल पर दिए गए आदेशों की पालना हर हालत में 10 जून तक की जाये.
२. सर्वोच्च न्यायालय के इन आदेशों की प्रति राज्य के सभी 200 विधायकों और 25 सांसदों को भेजी जाएगी ताकि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इन आदेशों को लागू करवाएं.
३. 10 जून तक आदेशों की पालना नहीं होने पर राज्य के विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा जिला स्तर पर एक दिवसीय धरना आयोजित किया जायेगा जिसमें तुरंत आदेशों की पालना की मांग की जाएगी.
४. सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को गाँव-गाँव में हर व्यक्ति तक पहुँचाया जायेगा.
५. सरकार लोगों व पशुओं को पीने का पानी उपलब्ध करवाए.
६. सूखा प्रभावित क्षेत्रों में चारा डिपो खोले जायें और लोगों को कम मूल्य पर चारा उपलब्ध करवाए.
७. सरकार द्वारा घोषित पानी की कमी वाले क्षत्रों में खनन, कल-कारखानों द्वारा पानी के बेलगाम दोहन पर रोक लगाई जाये.
अभियान से जुड़े बाबूलाल नागा ने बताया कि कल धरना स्थल पर राजस्थान में नरेगा के हालातों पर चर्चा की जाएगी. धरने में शामिल लोग अपने-अपने इलाके में नरेगा की स्थिति पर बात करेंगे.
धरने से जुड़े लोग; गाँव से पहुँच रही खाध्य सामग्री
दौसा से आईं आशा देवी व अन्य महिलाएं आज धरने में शामिल हुईं. ये महिलाएं अपने साथ 40 किलो आटा लेकर आई जो उन्होंने अपने गाँवों के विभिन्न घरों से इकठ्ठा किया औ उन्होंने ये बताया कि धरने में शामिल लोगों को यदि आटा या दाल या किसी और सामग्री की ज़रुरत होगी तो वे आगे भी घरों से इकठ्ठा कर धरने को मदद करेगी.