वन अधिकार मान्यता कानून को प्रभावी रूप से लागू करने की आदिवासियों ने उठाई मांग, कहा हमारे गाँव में हो हमारा राज
गौरतलब है कि एक जून से शहीद स्मारक पर ‘जवाब दो’ धरना जारी है. धरने में विभिन्न मुद्दों पर जन सुनवाईयां आयोजित कर सरकार से जवाबदेही की मांग की जा रही है. इसी कड़ी में आज आदिवासी एवं वन अधिकार के मुद्दों पर एक जनसुनवाई हुई.
जल जंगल जमीन आन्दोलन के आर डी व्यास ने कहा कि प्रदेश में हजारों व्यक्तिगत दावे बिना कारण बताये वन विभाग की अनावश्यक दखल और वन्य जीव अभ्यारण्य का हवाला देकर निरस्त किये गए हैं, जो गैर कानूनी है. जो व्यक्तिगत दावे मिले भी हैं उनमें भी दावे के अनुरूप काफी कम ज़मीन के अधिकारों को मान्य किया गया है. सामुदायिक दावों की प्रक्रिया को तो शुरू भी नहीं किया गया है. आदिवासियों की कृषि भूमि को गैर आदिवासियों द्वारा नियमों का दुरुपयोग कर हडपा जा रहा है. आदिवासियों की ज़मीनें खनन के लिए आवंटित करने पर पिछली सरकार द्वारा लगाई रोक जो इस सरकार ने हटा ली है जिससे आदिवासियों से उनकी ज़मीनें छीनी जा रही है. इस जनसुनवाई में हेल्प एज इंडिया के मुख्य कार्यकारी मैथ्यू चेरियन ने भी धरने में पहुंचकर अपना समर्थन दिया.
पेसा कानून लागू करे सरकार
जनसुनवाई में आदिवासी समुदाय के लोगों का कहना था कि कहने को तो पेसा कानून में ग्राम सभा को गाँव में ही निर्णय लेने की शक्तियां दी गयी हैं लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार इस कानून को पूरी ईमानदारी से लागू नहीं कर रही है. बड़े दुःख की बात है कि एक अच्छे और महत्त्वपूर्ण कानून का राजस्थान में सही क्रियान्वयन नहीं हो रहा है. हमारी मांग है कि सरकार राज्य में पेसा कानून के तहत जो अधिकार आदिवासियों को दिए गए हैं उन्हें उनका वह हक दे.
कब मिलेगा हमारे दावों का अधिकार
राज्य में हजारों की संख्या में गैर-आदिवासी वनों पर आश्रित हैं. उन्होंने दावे भी पेश किये हुए हैं लेकिन अभी तक भी सभी दावेदारों को सरकार ने अधिकार पत्र नहीं दिए हैं. राज्य में अब तक 34848 अधिकार पत्र जारी किये गए हैं लेकिन इनमें एक भी अधिकार-पत्र किसी गैर-आदिवासी को नहीं दिया गया है. उदयपुर जिले की खैरवाडा तहसील के 82 दावे विगत तीन सालों से लंबित पड़े हैं जबकि वल्लभनगर तहसील के 568 दावों को उपखंड स्तरीय समिति ने निरस्त कर दिया. कोटड़ा में 4800 दावे प्रस्तुत किये जिनमें से 1456 दावे ही स्वीकृत किये गए और अन्य दावों के बारे में कोई भी सूचना दावेदारों को नहीं दी गयी है. इसी तरह टोंक जिले की देवली तहसील के देवड़ावास व कनवाडा पंचायतों में कुल 76 दावे प्रस्तुत किये गए पिछले तीन साल से ये दावे लंबित पड़े हैं.
-बाबूलाल नागा