ओबीसी क्रीमीलेयर सीमा को साढे़ चार लाख से घटाकर ढाई लाख रुपये करने के अशोक गहलोत सरकार के आदेश का चारों ओर विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेसी नेताओं के एक वर्ग ने इस मामले में आलाकमान तक अपनी शिकायत पहुंचाकर कहा कि अगर निर्णय नहीं बदला तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है। इनमें सत्ता एवं संगठन से जुडे़ वरिष्ठ नेता शामिल हैं।
सत्तारूढ़ कांग्रेस के ही प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने भी सरकार के निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ही ओबीसी क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाकर साढ़े छह लाख रुपये करने जा रही है और देश के अन्य भागों में यह सीमा साढ़े चार लाख रुपये है तो राजस्थान में अचानक इसे घटाकर ढाई लाख रुपये करने की क्या जरूरत आ पड़ी? डॉ. चंद्रभान ने कहा कि वे इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात करके जानकारी दे चुके हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में जब लोगों की आय बढ़ने के साथ ही रुपये का अवमूल्यन हो गया है और छठे वेतन आयोग के बाद तो स्थितियां ही बदल चुकी है। ऐसे में क्रीमीलेयर की सीमा को घटाया कैसे जा सकता है? ‘मैं न केवल ओबीसी क्रीमीलेयर के लिए साढ़े चार लाख रुपये की सीमा से सहमत हूं बल्कि इसे बढ़ाकर छह लाख रुपये तक बढ़ाने के पक्ष में हूं।’ उन्होंने दो साल पुराने फैसले को अब अचानक पालना करने पर भी आश्चर्य जताया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक कर्नल सोनाराम ने भी इस फैसले का विरोध करते मुख्यमंत्री को इसके लिए दोषी बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि यह फैसला सीएम की जानकारी के बिना नौकरशाहों ने ही अपने स्तर पर ले लिया हो लेकिन अंतिम जिम्मेदारी सीएम की ही बनती है। राज्य में ओबीसी करीब 69 प्रतिशत है और यदि उक्त फैसला फौरन ही बदला नहीं गया तो कांग्रेस की लुटिया डूबनी तय है। ओबीसी में भी सबसे बड़ा वर्ग जाट है और यदि जाट समाज कांग्रेस से नाराज हो गया तो कांग्रेस का बहुत भारी नुकसान होगा। जब सरकार एससी-एसटी के मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर सकती है तो फिर करीब दो साल बाद अचानक ही हाईकोर्ट के आदेश की पालना की क्या जरूरत आ पड़ी?
राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने भी ओबीसी क्रीमीलेयर की सीमा घटाने के फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि पहले ही छठे वेतन आयोग के कारण बहुत कम ओबीसी को आरक्षण का फायदा मिल रहा है ऐसे में अब ढाई लाख रुपये की सीमा करने से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के परिजनों को भी आरक्षण का लाभ मिलना मुश्किल हो जाएगा। मील ने आदेश वापस लेकर ओबीसी क्रीमीलेयर की सीमा छह लाख रुपये करने की मांग की है। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटिशन या सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की मांग करते हुए इस फैसले से कांग्रेस को भारी राजनैतिक नुकसान होने की चेतावनी दी है।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय रेल मंत्री डॉ. सीपी जोशी भी इस निर्णय से नाराज बताए जाते हैं। वहीं प्रदेश सरकार के कई मंत्री, विधायक और प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारी इस निर्णय को आत्मघाती मान रहे हैं।