पिछले एक महीने से ज़्यादा समय से एक बच्ची अपने घर से लापता है. पुलिस मामले में तलाशी के दावे कर रही है लेकिन ये दावे उस माता-पिता के आंसू रोकने के लिए काफी नहीं है जिनकी नजरों से बिटिया का चेहरा हटता नहीं और जुबान से उसका नाम.
घटना बिहार के मुजफ्फरपुर की है. 18 सितंबर की मध्य रात्रि से अतुल्य चक्रवर्ती की 11 साल की बेटी नवरुणा गायब है. अतुल्य ने अपनी बेटी आखिरी बार 18 सितंबर को 12 बजे देखा था लेकिन जब 4 बजे सुबह के आसपास उनकी नींद खुली तो उनकी बेटी घर में नहीं थी.
घर के दरवाज़े खुले हुए थे और नवरुणा के कमरे की खिड़की टूटी हुई थी.
दुख की वो घड़ी जैसे अतुल्य की आंखों में ठहर सी गई है. तबसे ऐसा कोई दिन नहीं बीता कि अतुल्य ने थाने में फोन ना किया हो.
अतुल बताते हैं, “एक महीने से फोन कर-करके थक गया हूं, 18 सितंबर की घटना है और आज 26 अक्तूबर है, लेकिन कुछ नहीं हुआ. सिर्फ दिलासा दी जाती है कि आपकी बेटी ठीक है.”
‘मुख्यमंत्री से मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन’
इस बीच अतुल्य चक्रवर्ती के मुताबिक़ उनकी पत्नी ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने की भी कोशिश की लेकिन उन्हें सादी वर्दी में मौजूद महिला पुलिस कर्मियों ने मुख्यमंत्री से मिलने ही नहीं दिया और ज्ञापन फाड़ दिया.
अतुल्य कहते हैं, “मेरी पत्नी अपनी भाभी के साथ मुख्यमंत्री से मिलने गई थी लेकिन पुलिस को कहीं से पता लग गया और उन्हें मिलने नहीं दिया गया, उनका ज्ञापन भी छीन लिया.”
उन्होंने बिहार के पुलिस महानिदेशक अभयानंद से भी कई बार संपर्क किया, लेकिन वहाँ से भी कोई आश्वासन नहीं मिला. अतुल्य के मुताबिक एक बार तो उन्होंने अतुल्य को उल्टे डाँट पिला दी.
बीबीसी ने पुलिस महानिदेशक अभयानंद से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.
नवरुणा की बड़ी बहन नवरुपा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर इस मामले में दखल देने की बात कही है. लेकिन नवरुणा के परिजनों के मुताबिक़ क़रीब 40 दिन बाद भी उन्हें अपनी बेटी के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल पाई है.
उधर, मुजफ्फरपुर के पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार का दावा है कि मामले में तीन लोगों को अभी तक पकड़ा गया है.
“बच्ची की तलाशी के लिए एक टीम गठित कर दी गई है जिसमें दो डीएसपी के अलावा 8 पुलिसकर्मी शामिल हैं. टीम हर दृष्टिकोण से छनबीन कर रही है.”
नवरुणा के पिता ह्रयद रोगी हैं और कई बार बेटी को याद करते करते भावुक हो जाते हैं. लेकिन अभी तक उन्हें कोई सफलता हाथ नहीं लगी है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार साल 2011 में अपहरण के कुल 44,664 मामले दर्ज किए गए जो साल 2010 के मुक़ाबले में 16.2 फ़ीसदी अधिक है. साल 2010 में अपहरण के कुल 38,440 मामले सामने आए थे.
बिहार पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक़ वर्ष 2011 में बिहार में अपहरण की कुल 4268 घटनाएँ हुईं, जिनमें से 57 फिरौती के लिए थीं. वर्ष 2012 में अगस्त महीने तक अपहरण की कुल 3406 घटनाएँ हुई हैं, जिनमें से 50 फिरौती के लिए थी.
साल 2011 में सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश में अपहरण के मामले हुए. उत्तरप्रदेश में कुल 8500 अपहरण के मामले दर्ज किए गए जो कि पूरे देश में अपहरण मामलों का लगभग 19 फ़ीसदी है.