संसद के शीतकालीन सत्र शुरु होने के पहले ममता बनर्जी अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार को गिराने की बात कर रहीं थीं. उनकी पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भी दिया लेकिन पार्टी प्रस्ताव को सदन में पेश करने के लिए आवश्यक 50 सांसदों का समर्थन भी नहीं जुटा सकी.
इसकी वजह से अविश्वास प्रस्ताव नामंज़ूर हो गया.
लेकिन दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में मत विभाजन वाली धारा के तहत चर्चा करवाने के लिए अड़ी हुई है.
हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि वो हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन वह एफ़डीआई के मुद्दे पर मतदान नहीं चाहती.
संसद के पहले दिन हंगामे के कारण राज्य सभा को अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दिया गया है वहीं लोक सभा तीन बार स्थगित हो चुकी है.
एफ़डीआई पर अटकी बात
लोक सभा में तृणमूल के नेता सुदीप बंधोपाध्याय ने सदन में अपनी पार्टी का अविश्वास प्रस्ताव को पढ़ कर सुनाया पर उनके प्रस्ताव को आवश्यक 50 सांसदों का भी समर्थन नहीं मिला.
लोक सभा में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के सांसदों के नारेबाजी के बीच में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने एफडीआई पर वोटिंग वाली धारा के तहत चर्चा की मांग की.
राज्यसभा में स्थगन का कारण बने बहुजन समाज पार्टी के सांसद जो प्रमोशन में आरक्षण के विधेयक को लाने के लिए और उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध के कारण सदन के कारण बीचो-बीच आ कर नारेबाज़े करने लगे.
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के सांसदों ने एलपीजी सिलेंडर की बात पर नारे लगाए.
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है.
विपक्ष की नाराजगी इस बात पर है कि सरकार तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा दिए गए उस आश्वासन से फिर गई है जिसमें यह कहा गया था कि खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश के बारे में सभी संबंधित पक्षों से सलाह मशविरा करने के बाद ही अंतिम फैसला किया जाएगा.
लोकसभाध्यक्ष द्वारा बुलाई गई बैठक के असफल होने के बाद अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बीजेपी के चोटी के नेताओं से मंत्रणा करने के लिए उन्हें रात के खाने पर बुलाया है.