उच्च न्यायालय ने एड्स संविदा कर्मी सचिन शर्मा की याचिका खारिज़ की

अजमेर ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में जिला एड्स प्रोग्राम कंट्रोल सोसाइटी में संविदा में कार्यरत कार्यक्रम अधिकारी सचिन शर्मा और उनकी पत्नी
सहायक योगिता शर्मा की याचिका को
हाई कोर्ट ने प्राइमा फेसी स्तर पर मेरिट योग्य नहीं मानते हुए खारिज़ कर दी ।
वरिष्ठ एडवोकेट तनवीर अहमद ने शर्मा दम्पत्ति का 17.5.13 को परिवाद पेश करते हुए दलील दी कि स्वास्थ्य विभाग ने शर्मा दम्पत्ति के विरूद्ध द्वेषपूर्ण कार्यवाही करते हुए उन्हें पद से हटा दिया है । माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने उनकी दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि शर्मा दम्पत्ति की नियुक्ति संविदा सेवा शर्तों के तहत अनुबन्धों के आधार पर हुई थी और स्वास्थ्य विभाग द्वारा वार्षिक मूल्यांकन में उनका कार्य संतोषजनक नहीं पाया इसलिए कार्यअवधी नहीं बढ़ाई गई । 31 मार्च 2013 को उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका था इसके बावजूद सचिन शर्मा और योगिता शर्मा कार्यालय सहायक के साथ सांठ गांठ कर हाजिरी रजिस्टर में 9.4.13 तक बराबर हस्ताक्षर भी करते रहे ।
विभाग ने प्रत्युत्तर में दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए जानकारी दी कि एक ब्लैकलिस्टेड
एनजीओ के साथ मिलकर अपने कर्तव्य के विपरीत कार्य किया है । उनके संदिग्ध क्रियाकलापों , एचआईवी की गोपनीय सूचनाओं को विभाग की पेंनड्राइव में चुराने, आईडी हैक करने , पासवर्ड बदलने के आरोप हैं जिसकी वजह से उनके खिलाफ सिविल लाइन थाने में आईटी एक्ट अन्तर्गत 269, 270,380, 454,408,420, 384,509/120 बी
के तहत मुकदमा भी दर्ज करना पड़ा ।
याचिका में प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं सचिवालय जयपुर , प्रोजेक्ट निदेशक राजस्थान स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी जयपुर और सीएमएचओ अजमेर तथा डॉ लाल थदानी नोडल ऑफीसर एवम् उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को परिवादी बनाया गया था।सरकार की ओर से वरिष्ठ एडवोकट डॉ विभूति भूषण शर्मा संजय शर्मा ने पैरवी की ।

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