लिव-इन पार्टनर की बेटी से रेप के दोषी की उम्रकैद बरकरार

sentence 2013-2-12बांबे हाई कोर्ट ने अपनी लिव-इन पार्टनर की 13 वर्षीय बेटी के साथ दुष्कर्म के आरोपी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। निचली अदालत ने 2004 में नामदेव वाघमरे को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

जस्टिस वीके ताहिलरमानी और एसएस जाधव की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘दुष्कर्म के मामलों में एफआइआर दर्ज करने में देर होती है। पीड़ित का परिवार समाज के रवैये के कारण थाने जाने से बचता है। इस स्थिति से निपटने के लिए तुरंत कोई रास्ता नहीं निकाला जा सकता।’

दिसंबर 2001 में पीड़ित के जन्मदिन पर उसे घर में अकेले देख वाघमरे ने दुष्कर्म किया। पीड़ित के शोर मचाने पर वह दरिंदगी पर उतर आया। जनवरी और मार्च 2002 में उसने फिर उस मासूम को अपना शिकार बनाया। किशोरी ने अपनी मां से इसकी शिकायत भी की, लेकिन उसने इन आरोपों को खारिज कर दिया। वाघमरे के भतीजे ने भी इन आरोपों को सही बताया था, लेकिन मां ने उसे भी नजरअंदाज कर दिया। बाद में स्थानीय लोगों की मदद से मामला प्रकाश में आया और एफआइआर दर्ज की गई।

पीड़ित की मां अपने पति की मौत के बाद पांच साल से वाघमरे के साथ लिव-इन में रह रही है। मामला तब सामने आया जब पीड़ित की दोस्त मैरी कार्डोज ने उसे एक आश्रम भेजा। जब उसे वहां से घर लौटने को कहा गया तो वह चीखने लगी। उसकी मां और उसका गुनहगार उसे लेने आए, लेकिन उसने जाने से मना कर दिया। 20 अप्रैल 2002 को महिला एवं बाल कल्याण शाखा में शिकायत दर्ज की गई। पीड़ित के अनुसार वाघमरे ने शिकायत करने पर उसे ट्रेन के नीचे फेंकने की धमकी दी थी।

(मिड डे)

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