वेटिकन सिटी। पहले गैर-यूरोपीय पोप फ्रांसिस ने शुक्रवार को चर्च की पुरानी परंपरा तोड़ दी। इसे चर्च में बदलावों की जरूरत के मद्देनजर शुभ संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
अर्जेटीना के नव निर्वाचित पोप फ्रांसिस जब पहली बार जनता को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने लोहे का वही क्रॉस पहना था, जो वह ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप रहते पहना करते थे। परंपरा पोप के सोने का क्रॉस पहनने की है। सेंट पीटर्स स्क्वायर पर बुधवार को अपने पहले संबोधन के दौरान उन्होंने लोगों से वही क्रॉस पहने पर मजाक में कहा था, ‘कार्डिनलों ने उनके भीतर के उस शख्स को चुना है जो किसी दूसरी दुनिया से आता है।’
इसके साथ ही उन्होंने अपने पूर्ववर्ती पोप के नाम पर अपना नाम रखने की परंपरा भी तोड़ डाली। जॉर्ज मारियो बर्गोलियो ने अपने लिए 13वीं सदी के उस संत का नाम चुना, जिसने गरीबों की जिंदगी के लिए अमीरों को जमकर कोसा था। पोप फ्रांसिस ने परंपराएं तोड़ने की शुरुआत चुने जाने के कुछ देर बाद ही कर दी थी जब उन्होंने पोप की खास मर्सीडीज में बैठने से इन्कार कर कार्डिनलों के साथ मिनिबस में जाना ही बेहतर समझा था। इटली के एक शीर्ष अखबार के स्तंभकार एल्डो कैजुलो ने बर्गोलियो के शुरुआती कदमों को क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि नए पोप में भ्रष्टाचार, व्यभिचार, आडंबर और अहम से लड़ने के लिए जो जज्बा है, उसे वेटिकन की दीवारें रोक नहीं पाएंगी।