नई दिल्ली। आप अपने पैसे अपनी जेब में भी रखते हैं और बैंक में भी। दोनों में फर्क यह है कि बैंक में आपका कैश इलेक्ट्रॉनिक रूप में जमा रहता है। इसे जब चाहे आप निकाल कर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी तरीके से जैसे-जैसे तकनीक ने विकास किया कागजी रूप में खरीदे व बेचे जाने वाले शेयर इलेक्ट्रॉनिक शक्ल में एक अकाउंट में रखे जाने लगे। इस अकाउंट को ही डीमैट खाता कहते हैं, जिसमें शेयर पेपरलेस यानी इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे जाते हैं। इसमें शेयरों के अलावा बांड, गोल्ड ईटीएफ व म्युचुअल फंड यूनिटें भी रखी जाती हैं। अब बीमा पॉलिसी भी डीमैट फॉर्म में रखी जा सकेंगी।
भारत में शेयरों में खरीद-फरोख्त ब्रोकर्स के जरिये ही कर सकते हैं। बाजार नियामक के लिए कुछ लाख ब्रोकर्स का नियमन करना आसान है। इसलिए आपको डीमैट खुलवाने के लिए किसी पंजीकृत ब्रोकर जैसे एसएमसी या शेयरखान वगैरह से संपर्क करना होगा। इन ब्रोकर फर्म का नियमन दो डिपॉजिटरी करती हैं- नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) व सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (सीडीएसएल)। सारे डीमैट खाते इन्हीं दो डिपॉजिटरी से संचालित होते हैं।
इस खाते के बगैर आप शेयर बाजार में कारोबार नहीं कर सकते। डीमैट होने से न तो शेयरों और म्युचुअल फंड यूनिटों के चोरी हो जाने का डर रहता है, और न ही इनके प्रमाण पत्रों के फटने या खराब होने का भय। आपको ईमेल के जरिये शेयरों की स्थिति की जानकारी मिलती रहती है। यह खाता बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है। खाते को खोलने का खर्च 100 से 300 रुपये तक आता है। इसको बनाए रखने के लिए सालाना फीस भी देनी होती है। 50,000 से कम का सालाना कारोबार पर शुल्क नहीं है।
डीमैट खाते के फायदे:
-सिक्योरिटीज को रखना सहज और सुरक्षित।
-शेयर बाजार में कारोबार की सुविधा।
-सिक्योरिटीज का ट्रांसफर आसान।
-नॉमिनेशन का काम भी सरल।