उत्तम मालवीय [नई दुनिया], बैतूल। क्या वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई हुक्का पीती थीं? इस बहस को निजी स्कूलों में पढ़ाई जा रही एक प्रकाशन की पुस्तक ने जन्म दिया है। इस पुस्तक में लक्ष्मीबाई का जो चित्र प्रकाशित किया गया है, उसमें उन्हें हुक्का गुड़गुड़ाते हुए दिखाया गया है। ‘सक्सेस विथ गेटिंग अहेड इन सोशल साइंस’ नामक यह पुस्तक चेन्नई के ओरिएंट ब्लेकस्वान प्राइवेट लिमिटेड ने प्रकाशित की है। इस पुस्तक की लेखिकाएं आभा सहगल और सुष्मिता मलिक हैं। यह पुस्तक सीबीएसई पैटर्न वाले स्कूलों की कक्षा पांचवीं में चलाई जा रही है। पुस्तक के 18वें अध्याय ‘द ब्रिटिश राज एंड फर्स्ट वार ऑफ इंडिपेंडेंस’ में अंग्रेजों के भारत में आगमन से लेकर 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम तक का ब्योरा है।
इसी अध्याय में महारानी लक्ष्मीबाई का भी सचित्र उल्लेख है। अध्याय में दी गई जानकारियां सटीक हैं, लेकिन लक्ष्मीबाई का जो चित्र है, उसमें उन्हें हुक्का पीते हुए दिखाया गया है। बच्चे ही नहीं, बल्कि बुजुर्गो को भी रानी लक्ष्मीबाई का ऐसा चित्र पहली बार देखने को मिल रहा है। इस संबंध में कई विद्वानों और जानकारों का कहना है कि रानी लक्ष्मीबाई का आज तक उन्होंने जो भी चित्र देखा है, उसमें उन्हें घोड़े पर सवार और हाथ में तलवार व ढाल लिए ही देखा है। इसके अलावा कहीं किसी एतिहासिक दस्तावेज में भी ऐसा जिक्र नहीं है कि उन्हें हुक्का पीने का कोई शौक था। बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में भी अभी तक वीरांगना के रूप में ही दिखाया गया है।
बैतूल के जिला शिक्षा अधिकारी बीएल लोधी ने कहा, किसी पाठ्य पुस्तक में लक्ष्मीबाई का इस तरह चित्र दिया गया है तो उक्त पुस्तक को शासन को भेज कर कार्रवाई की जाएगी।