क्या ये वही अजमेर की तीन दिन पहले वाली पुलिस है

राजेश टंडन
राजेश टंडन
विगत तीन दिन में पता नहीं क्या कमाल हुआ है कि अजमेर पुलिस का रूप स्वरूप ही बदल गया। शहर में पुलिस नियमित गश्त कर रही है और अपराधों पर अंकुश लगाने के लिये भागदौड़ कर रही है जुए, सट्टे, नाजायज शराब वालों को धन्धा करने से रोक रही है जिन लोगों को पहले पुलिस बुला-बुला कर अपने हल्के में धन्धा करने के पीले चावल भेजती थी आज तीन दिन में सबकुछ बदल गया। जनतावर्ली, अर्जेन्टवर्ली, छक्केदाने का जुआ, सट्टा, शहर में गली-गली हो रहा था और बीट कान्स्टेबल की ड्यूटी लगाई जाती थी कि इन अड्डों पर किसी किस्म की कोई बदमाशी जनता नहीं करे और नाजायज काम करने वालों को कोई पब्लिकमैन परेशान नहीं करे, ट्रैफिक पुलिस अपनी नियमित चौथ वसूली करती थी कोई ट्रकों को बीच बाजार में आने से नहीं रोके, कोई नो एन्ट्री नहीं थी, पड़ाव आदि क्षेत्र में जैसे चाहे, जब चाहे ट्रान्सपोर्ट कम्पनीयों वाले ट्रक खाली कराते भराते थे कोई रोकने वाला नहीं था, शराब की दुकानों पर रात्रि 08.00 बजे बाद बन्द करने का कोई प्रावधान नहीं था साईड की खिड़की या पिछले दरवाजोें से आराम से शराब उपलब्ध रहती थी, रेट से ज्यादा ओवर रेट पैसे लिये जाते थे और रात्रि में तो रेट धर्म का दुगुना हो जाता था, ठेलों पर, स्कूटरों पर शराब उपलब्ध रहती थी, स्मार्ट सिटी में होम डिलीवरी का भी प्रावधान था, शहर के ह्रदय स्थल में छाछ के मटकों में, शिकंजी के मटकों में ठण्डे शराब के पउऐ खुलेआम उपलब्ध रहते थे, पुलिस वाले इन सब स्थानों पर काला टीका लगाकर आते थे ताकि किसी की नजर ही ना लगे, शाम होते-होते थानेदारों की पार्टियों, मौज मस्तियों का दौर शुरू हो जाता था और अपने-अपने गन्तव्य पर वो अपनी शामें और रातें रंगीन करने हल्कागश्त या तफ्तीश में रवानगी कर निकल जाते थे। यह सब कुछ बड़े अधिकारियों की सरपरस्ती से होता था और अधिकारियों को नियमित उनका नजराना, शुकराना मिल जाता था। ऐसा खुशनुमा माहौल राजस्थान में शायद ही कहीं होगा। पता नहीं तीन दिन से क्या हुआ है कि अजमेर पुलिस एकदम ऐड़ी पंजों पर खड़ी हो गई है, वर्दी पहनने लगी है और अब तो मौजे भी रंगीन नहीं पहन कर वर्दी वाले पहनने शुरू कर दिये हैं, समझाइश का दौर चल रहा है कि ‘‘हल्का गैर में अपराध करो, मेरे हल्के में मत करो, यह महीना अधिक मास का है इसमें समय खराब चल रहा है‘‘ बिना वजह कोई कालसर्प योग लग जाएगा शनि की दशा चल रही है। इन्टरसैप्टर शहर में आ गए हैं, ब्रैथ इन्हेलर चालू हो गए हैं, उनका आधुनिकीकरण किया जा रहा है, अब वो हाईवे चैकिंग और एन्ट्री नहीं करेंगे। शराब की दुकानों की जो साईड की दुकानें अघोषित बारें बनी हुई थी उन्हें बन्द कराया जा रहा है, रेट टू रेट शराब बेचने के निर्देश दिए जा रहे हैं सारा शहर आश्चर्यचकित है कि अजमेर पुलिस को क्या हो गया है ? भगवान करे ऐसा वातावरण सदा ही बना रहे और सारे पुलिस अधिकारी इसी प्रकार काम करें तो यह पुलिस का नारा ‘‘अपराधियों में भय, और आमजन में विश्वास‘‘ सार्थक होगा तथा आम आदमी का जीवनयापन सुखमय होगा, पुलिस का इकबाल बुलन्द होगा और राज में जनता का विश्वास होगा। अपराधी और अपराधी किस्म के पुलिस वाले अजमेर रेन्ज से सर पर पैर रखकर भाग रहे हैं पिछले कुछ समय से बदनाम अजमेर के लिये यह एक शुभ संकेत है कि अब अजमेर में भी पुलिस जीवित जाग्रत है और इसका प्राण प्रतिष्ठा समारोह हो गया। काश ऐसे ही सारे राजस्थान के पुलिस अधीक्षक हो जायें जैसे अजमेर को मिले हैं।
राजेश टण्डन, वकील, अजमेर।

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