पर्यावरण का संरक्षण की सर्वश्रेष्ठ पूजा है गोवर्धन की

IMG-20150630-WA0014अजमेर /30 जून 2015 मंगलवार /पुरूषोत्तम मास के पावन अवसर पर हाथी भाटा स्थित लक्ष्मीनारायण मन्दिर में वृन्दावन के संत भागवत भ्रमर आचार्य मयंक मनीष की समुधर वाणी में चल रही संगीतमय भागवत कथा के पांचवे दिन नन्द महोत्सव, गांेवर्धन लीला कंस वध, गोपी विरह गीत आदि की व्याख्या की और कहा-
यशोदा नन्दन, देवकी पुत्र भारतीय समाज में कृष्ण के नाम से सदियों से पूजे जा रहे हैं। तार्किकता के धरातल पर कृष्ण एक ऐसा एकांकी नायक है, जिसमें जीवन के सभी पक्ष विद्यमान हैं। कृष्ण वो किताब है जिससे हमें ऐसी कई शिक्षायें मिलती हैं जो विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक सोच को कायम रखने की सीख देती है। कृष्ण का जीवन दो छोरों में बंधा है। एक ओर बांसुरी है जिसमें सृजन का संगीत है, आनन्द है, अमृत है और रास है। तो दूसरी ओर शंख है जिसमें युद्ध की वेदना है गरल है, तथा निरसता है ये विरोधाभास ही समझाते हैं कि सुख है तो दुःख भी है। यशोदा नन्दन की कथा केवल किसी द्वापर की कथा नहीं किसी केवल ईश्वर का आख्यान नहीं और ना ही केवल किसी अवतार की लीला है। ये तो यमुना के मैदान में बसने वाली भावात्मक रूह की पहचान है। यशोदा का नटखट लाल है उसमें द्रोपदी का रक्षक, गोपियों का मनमोहन, तो कहीं सुदामा का मित्र है। हर रिश्ते में रंगे कृष्ण का जीवन नवरस में समाया हुआ है।

कथा में भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन कर नंद उत्सव बनाया गया एवं गिरीराज जी की झांकी सजाई गई। गोवर्धन लीला पर आचार्य जी ने कहा कि-
श्रीकृष्ण की मूल चिंता थी कि ईश्वर के नाम पर मानवता का शोषण ब्रज का तत्कालीन समाज जब जल और कृषि में समृद्धि के लिये इन्द्र की पूजा करता था। और इन्द्र की पूजा के नाम पर पाखण्ड रचा जाता था। श्री कृष्ण ब्रजवासी जनों से कहा कि वे मुख्यतः वनों में निवास विचरण करते हैं। अतः उन्हें अपने पर्यावरण का ही पूजन करना चाहिये। यह भी बताया कि वर्षा का जल इन्द्र से न आकर वृक्ष पर्वतों की कृपासे उपलब्ध होता है।
ब्रजवासियों ने परिवहन के देवता श्री गोवर्धन को सम्मानित कर उत्सव आरम्भ किया। इस उत्सव का एक और गहरा महत्व है। श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं के द्वारा भक्ति अर्थात् सेवा को प्रमुख साधन स्वीकार किया। अतः उनका यह संकल्प था कि आध्यात्मक जगत में भी भक्त की प्रतिष्ठा सर्वोपरि होनी चाहिए। श्रीकृष्ण की परम उपासक ब्रज गोपीगण गोवर्धन महाराज को ही श्रीकृष्ण का सर्वश्रेष्ठ का भक्त कहकर सम्बोधित करते हैं। श्री कृष्ण ने स्वयं कहा कि में भक्तन को दास, भगत मेरे मुकुटमणि।

आज कथा में मुख्य यजमान श्री वासुदेव मित्तल एवं परिवार ने गोवर्धन लाल का अभिषेक पूजन किया और परिक्रमा की।

उमेश गर्ग
मो. 9829793705

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