दुनिया भर के मुसलमानों को चरमपंथी तत्वों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए

dargaah deewanअजमेर 17 नवम्बर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के वंशज ओर दरगाह के सज्जादनशीन एवं मुस्लिम धर्म प्रमुख दरगाह दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खानं ने कहा कि दुनिया भर के मुसलमानों को आतंकवादी और चरमपंथी तत्वों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। ये तत्व मानवता और इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इस्लाम के बारे में व्यापक समझ और कुरान की शिक्षाओं की गलत व्याख्या से बचाने की जरूरत है। दुनिया भर में आतंकवाद और चरमपंथ की चुनौतियों से मुकाबले के लिए इमामों, धार्मिक नेताओं और अन्य विद्वानों को बड़ी भूमिका निभानी होगी।

दरगाह दीवान ने एक ब्यान जारी कर फ्रांस में आतंकी हमले में 130 लोगों की मौत का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम एकजुट होकर समाज में आतंकवाद फैला कर इस्लाम की छवि खराब करने वालों को अलग-थलग करें। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। कुछ भ्रमित लोगों की गतिविधियों से इस्लाम के वास्तिवक संदेश, दया, एकता और शांति को तोड़ मरोड़कर पेश किया जा रहा है। उन्होने कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथ मानवता तथा इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन हैं।

भारत का हवाला देते हुऐ उन्होंने कहा कि यहां की सांस्कृतिक एकता और लोकतंत्र की वजह से आतकंवाद देश में अपनी जड़ें जमाने में असफल रहा है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम आगे आकर आतंकवाद और कट्टरपंथ को जड़ से उखाड़ फेंकने की दिशा में काम करें ये तत्व मानवता और इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इस्लाम के बारे में व्यापक समझ और कुरान की शिक्षाओं की गलत व्याख्या से बचाने की जरूरत है।

उन्होने कहा कि सातवीं सदी में इस्लाम सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता, लैंगिक समानता और राज्य व्यवस्था के लोकतंत्रीकरण के सिद्धांतों के आधार पर आधुनिकता की श्रेणी में आगे था मगर इस्लामिक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने इस्लाम की गलत तस्वीर पेष करके दुनिया के साने भ्रम के हालात पैदा कर दिये है। दरअसल इस्लाम में हत्या की सख्त मनाही है और इस्लाम में पैगंबर ने चेतावनी दी है कि जो किसी की हत्या करता है वह जन्नत नहीं जाएगा। यही वजह थी कि इस्लाम ने कई सदियों तक विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता प्रदान की है।

उन्होंने कहा कि सातवीं सदी में इस्लाम सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता, लैंगिक समानता और राज्य व्यवस्था के लोकतंत्रीकरण के सिद्धांतों के आधार पर आधुनिकता की श्रेणी में आगे था। उन्होंने कहा कि अरब देशों व इराक-ईरान में मिलाकर जितने मुस्लिम हैं, उससे अधिक भारत में हैं। भारत के मुसलमानों के लिए भारत से अछा देश और हिन्दूू से अच्छा पड़ोसी नहीं मिल सकता।

.दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान द्वारा जारी

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