भ्रष्टाचार मुक्त राजस्थान का संकल्प लें- लोकायुक्त कोठारी

s s kothari thumbअजमेर, 11 फरवरी। लोकायुक्त न्यायमूर्ति श्री एस.एस.कोठारी ने गुरूवार को मसूदा के पंचायत समिति सभागार में ब्लाॅक स्तरीय जनसुनवाई शिविर में राजस्थान को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए आमजन को संकल्प लेने का आह्वान किया।
श्री कोठारी ने कहा कि भ्रष्टाचार राष्ट्र के विकास में एक बहुत बड़ी बाधा है। लोक सेवकों द्वारा राज्य स्तर पर निगरानी के लिए लोकायुक्त की स्थापना की गई है। चारों पुरूषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में से धन की महत्ता बढ़ जाने से भ्रष्टाचार की मात्रा और संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। यह चिन्ता का विषय है। जनता भ्रष्टाचार के प्रति सहिष्णुता प्रदर्शित कर सकती है लेकिन उसके अन्दर व्यवस्था के प्रति आक्रोश पैदा हो जाता है। यह आक्रोश भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए परिस्थितियां पैदा करता है। उन्होंने कहा कि लोक जीवन में सूचिता लाने के लिए लोकायुक्त प्रयासरत है। सुशासन से विकास तेज गति से होता है। सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार विहीन सुशासन ला सकते है। अधिकारियों में समय की मांग के अनुरूप संवेदनशीलता, पारदर्शिता एवं समयबद्धता के साथ कानून सम्मत कार्य करने की शैली विकसित हो रही है। सत्यनिष्ठता और सेवा अधिकारियों की अतिरिक्त योग्यता में शामिल नहीं है फिर भी समानुभुति के साथ नौकरी को जीवन दर्शन बनाकर कार्य करने वाले अधिकारियों की कमी नहीं है।
उन्होंने बताया कि मानवीयता और पद की गरिमा के लिए ईमानदारी और निष्ठा के साथ कर्तव्य पालन करने से आत्मिक संतोष प्राप्त होता है। तर्क के द्वारा गलत कार्य को औचित्ययुक्त ठहराया जा सकता है। अन्तर्रात्मा उसे सही नहीं मानती है। प्रशासनिक तन्त्रा को संचालित करने वाले व्यक्तियों को व्यक्तिगत के स्थान पर सामूदायिक हित को तवज्जो देनी चाहिए। प्रशासन के जनता से सीधे जुड़ाव होने से दलाल नामक भ्रष्टाचार को पोषित करने वाली जमात खत्म हो सकती है। उन्होंने कहा कि बईमान व्यक्ति तुरन्त संगठित होकर अपना मार्ग बनाने की प्रकृति रखते है। ऐसे में भ्रष्टाचार मुक्त समाज के निर्माण के लिए ईमानदार व्यक्तियों को संगठित होकर कार्य करना चाहिए।
न्यायमूर्ति कोठारी ने लोकतन्त्रा के अधिकारों का उपयोग करने के लिए नागरिकों के जागरूक होने की आवश्यकता बतायी और कहा कि जनता में सार्वभौमिक शक्ति निहित है। प्रशासन द्वारा नियम सम्मत कार्य करने से समाज और राष्ट्र का विकास त्वरित गति से होगा। विश्व में भ्रष्टाचार के विषय पर सर्वे करने वाली एजेंसियों के द्वारा 2014 से भारत की रैंकिंग में लगातार भ्रष्टाचार के कम होने की बात कही गई है। यह भारतीय कार्यपालिका, विधायिका तथा न्याय पालिका के लिए हर्ष का विषय है। हम सबकों मिलकर भारत को डेनमार्क और न्यूजीलैंड की तरह आदर्श स्थिति में लाना है।
लोकायुक्त सचिवालय के संयुक्त सचिव श्री हरिराम जाट ने लोक सेवक की शिकायत प्रस्तुत करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने प्राप्त शिकायतों पर लोकायुक्त द्वारा की जाने वाली कार्यवाही की प्रक्रिया के बारे में बताया। लोकायुक्त सचिवालय में न्यूनतम खर्चे जो की पचास पैसे का न्याय शुल्क टिकट, 10 रूपए का नाॅनज्यूडिशियल स्टाम्प तथा डाक खर्च होता है में किसी भी लोकसेवक के पद के दुरूपयोग, भ्रष्टाचार अथवा कर्तव्य विमुख कृत्य की शिकायत की जा सकती है। राज्य के मंत्रियों, सचिवों, राजकीय प्रतिष्ठानों के अध्यक्षों, स्वायतशाषी संस्थाओं के महापौरों, उपमहापौरों, अध्यक्षों, उपाध्यक्षों, प्रमुखों, प्रधानों एवं अधिकारियों-कार्मिकों को लोकसेवक की श्रेणी में रखा गया है।
लोकायुक्त सचिवालय के उपसचिव श्री उमाशंकर शर्मा ने लोकसेवकों को मानवीय दृष्टिकोण के साथ कार्य करने के लिए कहा। शिविर में 34 परिवादियों ने अपनी शिकायत प्रस्तुत की। उपखण्ड अधिकारी श्रीमती अनुपमा टेलर ने उपखण्ड क्षेत्रा में आयोजित होने वाली जनसुनवाई तथा विधायक जनसुनवाई की चर्चा की।
इस अवसर पर मसूदा प्रधान श्री नारायण सिंह रावत, मसूदा सरपंच खुशनूर बानो, बार ऐसोशिएसन के पदाधिकारी, आर्य समाज के स्वामी विष्णु नटराज तथा स्थानीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित अधिकारी एवं आमजन उपस्थित थे।

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