अजमेर 25 मार्च। अजमेर के मुस्लिम बुद्धिजीवियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा गुरूवार को अन्दर कोट स्थित ख्वाजा पब्लिक स्कूल में मुसलमानों की शिक्षा व पिछड़ेपन पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान पिछड़ेपन के लिए अशिक्षा को जिम्मेदार बताया गया।
गोष्ठी में सभी वक्ताओं ने एक ही बात पर जौर दिया कि केंद्र व राज्य सरकारें कह सकती हैं कि उन्होंने अल्पसंख्यकों खास तौर से मुसलमानों के लिए बहुत किया या काफी कुछ कर रही हैं, लेकिन पढ़ाई-लिखाई के मामले में यह पूरा सच नहीं है। कहीं-कहीं तो समुदाय की आधी आबादी भी स्कूलों का मुंह नहीं देख पा रही है। उच्च शिक्षा तक पहुंचते-पहुंचते यह स्थिति और खराब हो जाती है।
वक्ताओं ने कहा कि यदि अल्पसंख्यकों को वाकई पढ़ाना-लिखाना है तो उन्हें मुफ्त दाखिले से लेकर छात्रवृति में अनुसूचित जाति के छात्रों जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। तर्क है कि दलित छात्रों के निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ने पर भी उनकी फीस का भुगतान सरकार करती है, जबकि अल्पसंख्यकों को पूरी फीस का भुगतान करना पड़ता है। यह उनकी पढ़ाई में बड़ी बाधा है। लिहाजा, राज्य सरकार एवं केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय व अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को ऐसी योजना बनानी चाहिए जिससे उच्च शिक्षा में दाखिले के वक्त उन्हें फीस न देनी पड़े, चाहे वह निजी संस्थान हो। उच्च शिक्षा में अल्पसंख्यक छात्रों के दाखिले में गिरावट का रुझान है।
यहां एक प्रस्ताव पारित किया गया कि मुस्लिम समाज के शेक्षणिक उत्थान के लिये समाज के सक्रिय सामाजिक संस्थाओं, पंचायतों को साथ लेकर एक व्यापक अभियान चलाया जाकर आने वाले षिक्षा सत्र में प्रारम्भिक षिक्षा के लिऐ बच्चों के दाखिले लिऐ सामुहिक प्रयास किऐ जाऐंगे। इस संर्दभ में वृहद स्तर पर अगली बैठक शीघ्र आयोजित किये जाने का निर्णय लिया गया।
संगोष्ठी में हाजी महमूद खान, सैयद गुलाम नजमी फारूकी, मुजफ्फर भारती, इमरान सिद्दीकी, डा. नवाजुल हक, शोऐब खान, इदरीस मोहम्मद शेख, अब्दुल नईम खान, रईस अहमद, हाफिज अनवार साहब, शोकत हुसैन, अन्नू कुरैषी, सहित कर्ह लोग शामिल हुऐ।
Muzaffar Bharti
Social Activits & secretary, Muslim Ekta Manch, Ajmer
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