अम्बेडकर की जयन्ती पर उनके ‘‘व्यक्तिव एवं कृत्रित्व‘‘ पर एक संगोष्ठी

DSC03457DSC03435अजमेर 13 अप्रेल, 2016। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, अजमेर रुक्टा (राष्ट्रीय) के तत्वावधान मंे डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर की 125वीं जयन्ती के उपलब्ध मंे उनके ‘‘व्यक्तिव एवं कृत्रित्व‘‘ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शेरसिंह दौचाणियां थे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रुक्टा (राष्ट्रीय) के महामंत्री डॉ. नारायण लाल गुप्ता थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. दीपकराज मेहरोत्रा ने की।
माँ सरस्वती एवं बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के चित्र के समक्ष दीपज्जवलन से कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत हुई। डॉ. उमेश दत्त ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। इसके पश्चात डॉ. सुशील कुमार बिस्सू ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ. अम्बेडकर के जीवन चरित्र को समझकर जीवन में अपनाने की बात कही। डॉ. बिस्सू ने कहा कि आवश्यकता इस बात है कि बाबा साहब द्वारा लिखे गये साहित्य को पठा जाए एवं प्रेरणा प्राप्त करे। विचार संगोष्ठी में डॉ. चेतन प्रकाश ने कहा कि कुछ लेखको से लिखा है। हमे स्वयं डॉ. अम्बेडकर द्वारा लिखे गये साहित्य को पढ़ना होगा, डॉ. चेतन प्रकाश ने बाबा साहेब की राष्ट्रपुरूष बताते हुए कहा कि उन्होंने सभी वर्गों, समाज के सभी व्यक्तियों की बात की उनका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। डॉ. चेतन प्रकाश ने कहा कि बाबा साहब ने मानव धर्म को सर्वेपरि माना है उन्होंने अपने जीवन में कभी किसी धर्म, किसी जाति का विरोध नहीं किया। राजकीय महाविद्यालय नसीराबाद के डॉ. अनिल गुप्ता ने कहा कि बाबा साहेब के विचारों एवं जीवन दर्शन को व्यावहारिक जीवन मंे अपनाने की आवश्यकता है। डॉ. रीतु सारस्वत ने अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभवों के आधार पर बाबा साहेब के व्यक्तिगत एवं शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। इसी क्रम मंे डॉ. स्नेह सक्सेना ने बाबा साहेब के व्यक्तित्व को विराट बताते हुए कहा कि वे सामाजिक समरसता के प्रतीक थे। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. शेरसिंह दौचानियां ने डॉ. अम्बेडकर का शुरूवाती जीवन परिचय देते हुए कहा कि हमें उनसे सेवा और त्याग की प्रेरणा लेते हुए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की बात की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि राजनीतिक तुष्टीकरण के लिए डॉ. अम्बेडकर में नाम का प्रयोग समाज मंे अलग-अलग वर्गों ने अपने-अपने हिसाब से किया है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि देश के लोकतन्त्र को जिन्दा रखने वाला हमारा संविधान बाबा साहेब की ही देन है। अतः वो एक राष्ट्रपुरूष थे। डॉ. गुप्ता ने बाबा साहेब की दृश्य अनुभूति एवं आत्म अनुभूति की बात करते हुए अस्पृश्यता एवं छुआछुत के कृत्रिम पैमानों की आलोचना की। डॉ. गुप्ता ने कहा कि बाबा साहेब का जीवन एक सधार्णमय जीवन रहा है। उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए देश मंे लिए एक आदर्श संविधान का निर्माण किया। डॉ. गुप्ता ने कहा कि ममभाव व समभाव से समरसता को अपनाने की बात रही। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. दीपकराज मेहरोत्रा ने कहा कि आज के इस पावन अवसर पर हम निश्चय ही बाबा साहेब का विचार समाज तक लेकर जाएगंे तो निश्चय ही देश का भविष्य उज्ज्वल होगा।

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