मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने वृध्दाश्रम की व्वयस्था पर जताई पूर्ण संतुष्ठी

अशोक कुमार लोढ़ा नसीराबाद

युवा पीढ़ी के लिए आज माता -पिता बोझ बनते जा रहे हैं। पिज्जा और बर्गर के शोकिन जवान, बूढ़े स्वाद से नाता तोड़ रहे है। बरगद की वह घनी छाँव जो कभी जीवन की कड़ी धूप में आधार बनी थीं, वो ही छाँव अब उन्हें अंधकार का आभास दिलाने लगी हैं, इसलिए पहले तो उन्होंने लापरवाहीपूर्ण व्यवहार कर उनकी शाखों को काटने का प्रयास किया और जब इससे काम न बना तो जड़ को काट कर उनसे नाता ही तोड़ लिया।
एक डॉक्टर बेटे के पास दिन में 40-50 मरीज देखने का तो समय है, किंतु घर में बीमार पड़ी माता को देखने का समय नहीं है। इसलिए उसने माता को एक प्राईवेट हॉस्पीटल में दूसरे डॉक्टर और नर्स की देखरेख में रख दिया है। नारी उत्थान केन्द्र की अध्यक्षा के पास दिन में कई संस्थाओं से जुड़ने का समय होता है, महिला विकास पर लम्बे- लम्बे भाषण देने का समय होता है, वृध्दाश्रम जाकर निराश्रित बुजुर्गो को शाल या कपड़े बाँटने का समय होता है, किंतु घर आकर घर के स्टोर रूम में एक टूटी चारपाई पर पड़ी विधवा सास के हालचाल पूछने का समय नहीं होता। एक शिक्षिका स्कूल में बच्चो को माता-पिता की सच्ची सेवा करने और माता-पिता को भगवान से भी बड़ा दर्जा देने का पाठ पढ़ाती है। वही शिक्षिका अपने घर में बूढी सास को न तो समय पर खाना देती है और न ही समय पर देखभाल करती है, कारण ट्यूशन करने से ही उसको फुर्सत नहीं मिलती।
र्किटी पार्टी में विविध विषयों पर चर्चा करती महिलाओं के पास रमी खेलने या एक मिनट शो खेलने का समय होता है, झुग्गी-बस्तियों में जाकर वहाँ के निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने का, उन्हें जागरूक करने का समय होता है, किंतु घर में दो घड़ी बैठकर बूढ़े माता-पिता के साथ दो मीठे-मीठे बोल,बोलने का समय नहीं होता।
यह सच है कि किसी को विद्या,किसी को विपुल धन-सम्पदा किसी को महल आकर्षित करते है मगर आज भी देश और दुनिया में कई ऐसे जन हें जिन्हें दूसरो के दुख-दर्द की पीडाओ का आभाव लुभाते हें और वे उनकी मदद के लिए तन-मन-धन के साथ समय पर उपस्थित रहने में अपना जीवन सफल मानते है। इस युग में मनुष्य का जन्म दया, करुणा जैसे आतिरिक्त संवेदनाओ और भावो के साथ हुआ हैं । मगर इस भोतिकवादी युग में लोग दया, करुणा, समपर्ण, सहयोग के गुणों का पोषण कहाँ चाहते है। वे तो बस यही चाहते हैं कि उनकी संताने डॉक्टर, चार्टर अकाउंटेड, इंजिनियर या कोई बड़ा इंडस्ट्रीज का मालिक बन लाखो, करोडो कमा कर दिखाये और दुनिया का सारा सुख, आनंद, सुविधा, सम्पदा उनी के पास हो, अगर यह सब किसी दुसरे के पास होगा तो वे बहुत दुखी,निराश और हमेशा टेंशन में रहते हैं
समाज और देश के लिए जीने की प्रेरेणा देने वाले अभिभावक और परिवार अब लुप्तप्राय हैं अपने लिए ही जीना, अपने परिवार के लिए ही सब-कुछ करने की प्रवर्ती अहंकार और स्वार्थ को बढाती हैं और इंसान सही तरीके से ना अपने भीतर झांक पाता हैं न ही बाहर किसी और, भीतर का यह खोखलापन उसे वो आनंद वो रूहानी सुगुन कभी नहीं दे सकता जो सेवा के उस निश्छल भाव की मोजुदगी देती हैं । जब कोई कहता हैं दान की खाद से पुण्य की बेल हरी-भरी होती है तो निश्चित ही भरोसा होता हैं क़ि दान देने वाले का हाथ तो हमेशा ही ऊपर होता है।
अभी कुछ दिनों पूर्व मेरा मीडिया एक्शन फोरम के साथियो के साथ मुकेश चोपड़ा, सुभाष चोधरी, संजय श्रीश्रीमाल, सुरेन्द्र सिंह सांखला, शांतिलाल बाबेल एवं राजकुमार बुलिया के आमंत्रण पर ॐ शांति सेवा संस्थान द्वारा संचालित ”आश्रय” नामक एक ऐसे वृध्दाश्रम में जाना हुआ जो 21 मित्रो ने सच्ची सेवा व समपर्ण भाव से लगभग 5 वर्ष पूर्व स्थापित किया। मंगरोप रोड, हरणी महादेव मंदिर के समीप, भीलवाडा में 3200 वर्ग गज में निर्मित विशाल व सुंदर भवन के बेहद साफ़ सुथरे माहॉल में अच्छी भोजन व आवास की सुविधा के साथ बने हुए इस वृध्दाश्रम को यह 21 मित्र बिना किसी सरकारी सहायता के अपने ही मित्रौ, परिजनों के आर्थिक सहयोग से संचालित कर रहे है। उनका यह समपर्ण व सेवा का जज्बा देख कर मन गदगद हो उठा और यह तसल्ली भी कि अभी तो उम्मीद के कई सूरज बाकी है। ॐ शांति सेवा संस्थान के मुकेश चोपड़ा ने हमें बताया कि वर्तमान में यहाँ 26 वर्द्धजन रह रहे है। जिनको सभी प्रकार कि सुख-सुविधाए निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। करीब 200 वर्द्धजन यहाँ पर रह कर चले गए है एवं वे अपने बच्चो के साथ सम्मानित जीवन व्यतीत कर रहे है। संस्थान में वरिष्ट वर्द्धजन जो कि निराश्रित एवं उपेक्षित है। उनकी आवास, भोजन, वाचनालय, मनोरंजन, मेडिकल चेकअप व आवश्यकता होने पर शल्य चिकित्सा की व्यवस्था भी निशुल्क है।
ॐ शांति सेवा संस्थान द्वारा संचालित ”आश्रय” के संचालक राजकुमार बुलिया ने बताया कि कोई भी व्यक्ति अपने आस-पास कोई निराश्रित एवं उपेक्षित वर्द्धजन जिसे ”आश्रय” कि आवश्यकता हो, इस संस्थान में भेज सकते है। उपरोक्त पते पर या संस्थान के फ़ोन न.01482-290387 पर सम्पर्क कर सकते है।
अभी हाल ही 26 जून 2016 को मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के तीन दिवसीय दौरे पर यहाँ के समाज कल्याण विभाग द्वारा मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे को बताया गया कि भीलवाड़ा में ॐ शांति सेवा संस्थान जो कि लगभग 6 वर्ष पूर्व विशाल व सुंदर भवन के बेहद साफ़ सुथरे माहॉल में अच्छी भोजन व आवास की सुविधा के साथ बने हुए इस वृध्दाश्रम को 21 मित्र बिना किसी सरकारी सहायता के अपने ही मित्रौ, परिजनों के आर्थिक सहयोग से संचालित कर रहे है। संस्थान में वरिष्ट वर्द्धजन जो कि निराश्रित एवं उपेक्षित है, उनकी आवास, भोजन, वाचनालय, मनोरंजन, मेडिकल चेकअप व आवश्यकता होने पर शल्य चिकित्सा की व्यवस्था भी निशुल्क है। यह बताये जाने पर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने यहाँ जाने की इच्छा प्रकट की ।
उस दिन यहाँ पर नव निर्मित रसोई घर का उद्धघाटन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा करवाया गया एवं मुख्यमंत्री ने इनके कार्यो की सहारना करते हुए यहाँ की विजिटर बुक में लिखा- यहाँ सभी व्वयस्था बहुत अच्छी हैं, यहाँ रहने वाले वर्द्धजन पूर्ण संतुष्ठ हैं ।

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