प्रदेश के महाविद्यालय शिक्षक बेहद आक्रोशित

ructaप्रदेश के महाविद्यालय शिक्षक पदनाम परिवर्तन पर अभी तक सरकार द्वारा निर्णय नहीं लिए जाने से बेहद आक्रोशित हैं तथा अब जबरदस्त आंदोलन हेतु मन बना चुके हैं। इस विषय पर राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) की विस्तृत प्रदेश कार्यकारिणी बैठक जयपुर में सम्पन्न हुई ।
बैठक में प्रदेश के प्रत्येक जिले से आए शिक्षक प्रतिनिधियों ने बताया कि सरकार द्वारा महाविद्यालय शिक्षकों के पदनाम परिवर्तन के संबंध में केंद्र सरकार से झूठ बोलने, असंवेदनशीलता बरतने तथा राज्य की उच्च शिक्षा को जानबूझकर उपेक्षित करने के कारण सरकार के प्रति गहरा आक्रोश एवं निराशा है। शिक्षकों द्वारा केबिनट मंत्री श्री कालीचरण सराफ़ द्वारा की गई घोषणाओं को उनके द्वारा पूरा नहीं करवा पाने पर गहरा रोष प्रकट किया गया। उल्लेखनीय है कि जनवरी 2014 में रुकटा(राष्ट्रीय) के प्रदेश अधिवेशन में उच्च शिक्षा मंत्री श्री कालीचरण सराफ ने राज्य के तीन हज़ार से भी अधिक कालेज शिक्षकों के समक्ष पदनाम व्याख्याता के स्थान पर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर करने की घोषणा की थी। यह भी ध्यातव्य है की यूजीसी रेग्युलेशन 2010 में देश भर में उच्च शिक्षा में व्याख्याता पदनाम समाप्त कर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पदनाम ही रखा गया है तथा इस रेग्युलेशन को पूरा लागू करने का घोषणा पत्र देने पर ही केंद्र सरकार द्वारा छ्ठे वेतन का 80% केंद्रीय अंश जारी होना था। संगठन को सूचना के अधिकार में प्राप्त जानकारी में यूजीसी ने बताया है कि पिछली राज्य सरकार द्वारा ये घोषणा पत्र देने के बाद ( घोषणा पत्र पूर्णतया झूठ था ) ही लगभग 400 करोड़ रुपए जारी किए हैं। संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री को विभिन्न भेंटों में प्रमाण सहित सभी तथ्य प्रस्तुत किए हैं साथ ही इस बात के भी डाक्यूमेंट्स प्रस्तुत किए हैं कि देश में केवल राजस्थान ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पदनाम नहीं बदले है इस कारण से शिक्षकों को न केवल अकादमिक नुकसान हो रहा है वरन राज्य भी उच्च शिक्षा में पिछ्ड़ रहा है।
कार्यकारिणी बैठक में दिन भर चले मंथन में देश भर में बदलाव होने, यूजीसी द्वारा व्याख्याता पदनाम समाप्त करने, मंत्रीजी की घोषणा को ढाई वर्ष से अधिक होने के बावजूद पदनाम परिवर्तन नहीं करने से कालेज शिक्षकों के धैर्य चूकने एवं आंदोलन का रास्ता पकड़ने पर मतैक्य रहा। कार्यकारिणी ने यह निर्णय किया है कि यदि सरकार शीघ्र ही इस विषय में सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है तो प्रदेश की उच्च शिक्षा में कार्यरत शिक्षक हर हाल में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों से बाहर आकर सड़क पर आंदोलन करने उतरेंगें ।

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