माता के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना की गई

img_0044शुभदा संस्थान में विशेष बच्चों को सामाजिक महौल में जुडे रहने के उद्देश्य से सभी सामाजिक उत्सव आयोजित करती है। ‘शुभदा’ में प्रत्येक वर्ष ‘निशक्त की शक्ति पूजा’ का विशेष आयोजन होता है। इसके अन्तर्गत आज ‘नवरात्रा’ के उपलक्ष में ‘निशक्त की शक्ति पूजा’ का विशेष कार्यक्रम (महासप्तमी पर्व) का आयोजन ‘‘शुभदा स्पेशल वर्ल्ड’’ बी.के.कौल नगर, अजमेर किया गया। जिसमें माता के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना की गई है।
आज इस अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में खास मेहमान अतिरिक्त जिला कलेक्टर श्री किशोर कुमार, नगर निगम के उपमहापौर श्री सम्पत सांखला व माहेश्वरी इन्टरनेशनल स्कूल के निदेशक श्री ताराचन्द माहेश्वरी और व्यवसायी श्री कमल भागचन्दानी व रेशम भागचन्दानी थे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज नवरात्रा के सातवेे दिन नौ विशेष बालिकाओं को आसन पर बैठाकर संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अपूर्व सेन ने ‘‘विशेष की शक्ति’’ माने जाने वाली इन विशेष बालिकाओं (कन्याओं) की माता के रूप में पूजा की गई व चुनरी एवं माला पहना कर आशीर्वाद लिया एवं भेट भी दी गई। पूजा अर्चना के बाद सामूहिक आरती की गई, जिसमें विशेष बच्चों ने मुख्य मेहमानों के साथ माता जी की आरती उतारी।
इस अवसर पर विशेष बालिकाओं (कन्याओं) को भोजन करवाया गया व भोजनरूपी माता का प्रसाद सभी विशेष बच्चों, स्टॉफ व अतिथियों ने भी ग्रहण किया।
नवरात्रा के अवसर पर शक्तिपूजा का विषेष महत्व है। वर्ष में दो बार विभिन्न रूपों में शक्ति की पूजा होती है। इन्हीं के बीच एक स्थान ऐसा भी है, जहां शक्ति के रूप में निःशक्त की पूजा की परम्परा है। यह स्थान है अजमेर में मानसिक विमंदितों के लिए कार्य कर रही संस्था ‘शुभदा’ का विशेष संसार।
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए कार्य करते हुए ‘शुभदा’ की टीम को शक्ति तत्व का रहस्य उन्हीं बच्चों में नजर आया, जिनके लिए वे कार्य करते है। इसी के साथ यहां शक्तिपूजा के रूप में विशेष बच्चों की पूजा की परम्परा पड़ी है। इसी के तहत प्रत्येक नवरात्र पर विशेष शक्ति पूजा का आयोजन होता है।
प्रारंभिक काल में यह आयोजन केवल विशेष बच्चों, उनके शिक्षकों और संस्था के कार्यकर्त्ताओं तक ही सीमित था। बाद में जानकारी मिलने पर अन्य लोग भी इस आयोजन में जुड़ने लगे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विशेष बच्चों को विशिष्ट आसन पर बैठाकर गन्ध एवं अक्षत आदि उपचारों से इष्टदेव की भांति बडे भक्तिभाव से पूजा जाता है। निःशक्त के रूप में शक्ति की उपासना के संदर्भ में यह भावना है कि नवरात्र में देवी का स्वरूप नितांत अबोध होता है। इसे ‘नग्रिका’ स्वरूप कहा गया है, अर्थात विमंदित शिशु की तरह वह स्वरूप, जिसमें स्त्री पुरूष भेद न जानने के कारण अपने अंगों को ढकने का बोध नहीं होता। देवी का यह भाव दुर्गा शक्ति रूप में पूजने योग्य है। इस अवसर पर सर्वत्र होने वाले कन्या पूजन की तरह यहां केवल बालिकाओं का ही नहीं, बालकों का पूजन भी उसी विधान से होता है। पूजा अर्चना के बाद सभी उपस्थित लोग निःशक्तों द्वारा शक्ति व सिद्धि के रूप में की जाने वाली पुष्प व अक्षत वर्षा से सराबोर होते हैं।

गौरव माथुर
(जनसम्पर्क अधिकारी)
9252624249

error: Content is protected !!