लेफ़्. कर्नल मन्सूर अली ने संभाला नाज़िम का पद भार

dsc_0838अजमेर 17 अक्टूबर। महान् सूफी हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रह. की प्रबंध कमेटी दरगाह कमेटी, दरगाह ख्वाजा साहब के नाज़िम के पद पर भारतीय सेना के लेफ्टीनेन्ट कर्नल मन्सूर अली खान ने कार्य भार संभाला है। इस अवसर पर दरगाह कमेटी अधिकारीयों व कर्मचारीयों द्वारा उनका गुलपोशी कर इस्तकबाल किया गया और उन्हे नाज़िम पद की बधाई दी गई। इनमें अब्दुल अलीम, हाजी नफीस, हाजी मोहम्मद सिद्दीक, डाॅ आदिल, बशीरूल कादरी, अब्दुल अजीज, शाहनवाज, खुर्शीद, अब्दुल रहमान, अजीम, मोईन, मुबीन, शेरमोहम्मद, हनीफ, मौलाना रईस इत्यादि शामिल रहे। इससे पहले कर्नल खान ने ख्वाजा साहब की मजार शरीफ पर खादिम सैयद इकबाल चिश्ती ने जियारत कराई और शुक्राने की चादर और फूल पेश किए।

दरगाह कमेटी स्टाफ से की मुलाकात किया कायड़ का दौरा
नाज़िम पद की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही कर्नल खान ने सभी विभागाध्यक्षों व कर्मचारीयों से शिष्टाचार बैठक की। बैठक मंे खान ने अपनी जीवन व अनुभवों को साझा किया। खान ने कहा की मेरा मकसद यहां पर सिर्फ जाएरीन की सुविधा व दरगाह का विकास करना है।

ख्वाजा माॅडल स्कूल परिवार ने किया स्वागत
दोपहर को नाज़िम खान दरगाह कमेटी द्वारा संचालित ख्वाजा माॅडल स्कूल पहंुचे। खान ने विद्यालय भवन का दौरा किया और स्टाफ से मुलाकात की। इस अवसर प्राचार्य गौस पटेल ने खान की गुलपोश की और गुलदस्ता भेट किया। खान ने खेल के क्षेत्र की अर्जित उपलब्धियों के बधाई दी और छात्रों को दी जा रही सुविधाओं की तारिफ की। इसके पश्चात् खान कायड़ ग्राम स्थित गरीब नवाज मेहमान खाने पहुचें। जहां पर खान ने मौजूदा व्यवस्थाओ के बारे में तफ्सील से जाना।

दरगाह कमेटी अध्यक्ष ने दी फोन पर बधाई।
कार्यभार संभालने के साथ ही नाज़िम खान ने दरगाह कमेटी अध्यक्ष शेख अलीम से फोन पर राब्ता किया और अपने ज्वाईनिंग की सूचना दी। इस पर शेख अलीम ने खान को बधाई दी और बेहतर कार्यकाल की शुभकामनाए दी। इसके साथ दरगाह कमेटी के नायब सदर जावेद पारेख, सदस्य असरार अहमद खान, ओबेदुल्ला शरीफ, पीर वदूद अशरफ, अम्मार अहमद, चैधरी वहाज, जियाउद्दीन बाबा और खान मोहम्मद सईद ने भी फोन पर बधाई दी।

बधाईयों का लगा तांता।
जैसे ही कर्नल खान के नाज़िम पद पर सूचना लगी तो नाज़िम दफ्तर से लेकर उनके फोन और मोबाईल पर बधाईयों का तांता लग गया। इनमे अंजुमन सैयदजादगान के सचिव वाहीद अंगारा, उपसचिव सैयद मुस्व्वीर हुसैन, अन्जुमन सैयदजागान से आरिफ चिश्ती, पूर्व दरगाह कमेटी सदस्य अब्दुल बारी, मोहम्मद इलियास के अलावा अब्दुल हमीद, मेहमूद खान, मोहम्मद सलीम, हाजी फारूख इत्यादि शामिल रहे।

जीवन परिचय
mansoor-aliलेफ्टीनेंट कर्नल मन्सूर अली खान की पैदाईश 19 सितंबर 1967 में हरियाणा के फरिदाबाद की वल्लभगढ़ तहसील के रेनहेड़ा खेड़ा गांव में हुई। आपके पिता मेहमूद खान भी फौज में अपनी लम्बी सेवाओ के बाद लेफ़्टीनेन्ट कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हुए। सैकण्डरी व हायर सैकण्डरी केन्द्रीय विद्यालय, नई दिल्ली से पास की। इसके बाद 1987 से मेरठ काॅलेज से स्नातक, 1990 में गर्वमेन्ट काॅलेज अजमेर से विधि स्नातक का इम्तिहान पास किया। 1991-92 में आप फौज में भर्ती हुए। फौज में रहते हुए यंग आॅफिसर, कामांडो, रेजीमेन्ट सिग्नल आॅफिसर, क्वाटर मास्टर, सिल्वीकल्चर और फोरेस्टरी कमांडो जैसे कोर्स पूरे किए। मौजूदा वक्त में खान ने डोगरा से सर्विंग आर्मी आॅफिसर के लेफ्निेट कर्नल से दरगाह कमेटी, अजमेर में नाज़िम पद ज्वाईन किया है।

24 साल में आधा दर्जन से ज्यादा मिले अवार्ड
फौज में अपनी बेहतर सेवाओ के लिए कर्नल खान को आधा दर्जन से ज्यादा अवार्ड मिले हैं इनमे हाई एटीट्यूड मेडल, सैन्य सेवा मेडल, स्पेशल सर्विस मेडल सुरक्ष (जेएण्डके), 50 साला आजादी का एनिवरर्सी मेडल, ओपी रक्षा मेडल, 9 वर्षीय सेवा मेडल के अलावा सेना के कई कार्ड मिले है।

दौसा कलक्टर अशफाक हुसैन के पास था अतिरिक्त चार्ज
खान से पूर्व दरगाह कमेटी के नाज़िम पद का चार्ज 15 जुलाई 2014 से दौसा कलक्टर अशफाक हुसैन आई.ए.एस. के पास था। अशफाक हुसैन ने बहुचर्चित नज़राने वाले मामले के समय नाज़िम पद सम्भाला था। जिस पर हुसैन ने माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार दरगाह शरीफ में पीली पेटीयां लगाई थी। नाज़िम पद के लिए 29 जून 2016 को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा इन्टरव्यू किए गए थे। जिसमें कर्नल खान का चयन किया गया।

जीवन के साथ जुडा रहेगा यह कार्यकाल।
पूर्व नाज़िम अशफाक हुसैन ने चर्चा के दौरान बताया की नाज़िम पद पर रहते हुए उनके जीवन के पिछले 2 साल बहुत ही उपलब्धियो भरे रहे। इस कार्य काल के दौरान मुझे आई.ए.एस. का प्रमोशन मिला और मुझे दौसा कलक्टर लगया गया। अपने बेटे शादी की जिम्मेदारी को मैने पूरा किया। इसी दौरान मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी उपलब्धि मेरी बेटी फरहा का आईएएस में चयन हुवा। इसके लिए में ख्वाजा साहब का बड़ा आभारी हुआ।

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