‘हर धड़कन पर तेरा ही नाम लिखा है

रश्मि जैन
रश्मि जैन
कहा खो गयी हूँ मैं जानती नही
लापता हो गयी हूँ मिलने के बाद तुमसे
होश ही कहा है अब मुझे
इक तेरी मश्रुफियत और
उस पर ये तन्हाई
न कोई उमंग है बची
खुद से बेज़ार हो गई हूँ
भीड़ में भी खुद को तन्हा देखती हूँ
अनजानों में खुद को ढूंढती हूँ
ये असर है तेरी मोहब्बत का
या कसूर मेरी दीवानगी का
मिलने के बाद तुझसे
कैसी दीवानी हो गई हूँ
रुक रुक कर सांसो का चलना
ये कैसा है मोहब्बत में जीना और मरना
डरने लगी हूँ खुद से या डराने लगा है ज़माना
रख कर हाथ कभी मेरे दिल पर धड़कनों को महसूस करना
हर धड़कन पर तेरा ही नाम लिखा है
हर साँस तेरा नाम पुकारती महसूस होगी
रश्मि डी जैन
महासचिव, आगमन साहित्यक संस्थान, नई दिल्ली

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