अजमेर 10 जनवरी। एंडोक्रायनोलोजिस्ट डॉ. आर के शर्मा ने कहा कि थायरोईड रोग से ग्रसित होने की जानकारी व उपचार समय पर मिल जाए तो रोगी के शरीर के अन्य अव्यवों पर पड़ने वाले असर को सहजता से रोका जा सकता है। जरूरी है कि जागरूक रहकर नियमित रूप से थायरोईड स्टीमूलेटींग हार्मोन (टी एस एच) जांच कराई जाए।
मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च संेटर, पुष्कर रोड अजमेर के सभागार में हाईपोथायरोईडिज्म रोग के निदान एवं उपचार पर वर्तमान में विश्वभर में प्रचलित नवीनतम तकनीक विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ आर के शर्मा ने यह विचार व्यक्त किए। सेमिनार की अध्यक्षता वरिष्ठ फिजीशियन डॉ एस. के. अरोड़ा ने की। डॉ शर्मा ने सेमिनार में उपस्थित चिकित्सकों के सवालों के जवाब दिए।
डॉ शर्मा ने हाईपोथायरोईडिज्म के वयस्क, बच्चों, बूढ़ों, गर्भवती महिलाओं में होने के कारण और निवारण पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने हाईपोथायरोईडिज्म से पीड़ित को दी जाने वाली दवाओं के ओवर डोज से बचाव के लिए रक्त (टीएसएच) की नियमित जांच की सलाह दी।
गौरतलब है कि हाईपोथायरोईडिज्म के रोगी को शारीरिक कमजोरी महसूस होती है। चेहरे व शरीर पर मोटापा बढ़ने लगता है तथा सुनाई कम देने लगता है।
सेमिनार के आरम्भ में मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के ऑपरेशन एंड क्वालिटी हेड डॉ. दीपक अग्रवाल ने डॉ. शर्मा व डॉ अरोड़ा का स्वागत परिचय दिया। मित्तल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. दिलीप मित्तल, चिकित्साधीक्षक डॉ विनोद विजयवर्गीय ने बुके भेंट कर अभिनन्दन किया। इस अवसर पर अनेक चिकित्सक उपस्थित थे।
सन्तोष गुप्ता
प्रबन्धक जनसम्पर्क
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