विकास के लिए सुशासन का होना जरूरी – न्यायमूर्ति कोठारी

s s kothari thumbअजमेर, 23 फरवरी। लोकायुक्त न्यायमूर्ति श्री एस.एस. कोठारी ने कहा है कि विकास के लिए सुशासन का होना आवश्यक है तथा सुशासन के लिए भ्रष्टाचार मुक्त समाज होना जरूरी है। लोकायुक्त गुरूवार को पुष्कर तहसील कार्यालय में गैर सरकारी संगठनों, गणमान्य नागरिकों एवं उप खण्ड स्तरीय अधिकारयों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में उन्होंने लोकायुक्त सचिवालय में पूर्व में पंजीकृत शिकायतों की जनसुनवाई भी की। जबकि लोकायुक्त सचिवालय अधिकारियों द्वारा नयी शिकायते भी दर्ज की गई।
लोकायुक्त ने कहा कि अधिकारी पारदर्शिता के साथ अपने कर्तव्यों का निवर्हन करें। तभी सुशासन की ओर हम बढ़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि अधिकारी लोकायुक्त सचिवालय से मांगी गई रिपोर्ट समय पर भिजवावें ताकि लोगों को राहत मिल सके। उन्होंने बताया कि लोकायुक्त सचिवालय के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है और पहले से ज्यादा शिकायते प्राप्त होने लगी है। जिन्हें समय पर निपटाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में देश का तीसरा ऐस प्रदेश है जहां लोकायुक्त व्यवस्था लागू की गई है। जो 1973 से कार्य कर रही है। स्वच्छ एवं कुशल प्रशासन लोगों को मिले इसी उद्ेश्य से इसकी स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि अभी भी कई ऐसे लोग है जो लोक सेवकों के भ्रष्टाचार से पीड़ित है। लेकिन उन्हें इस संस्था की जानकारी नहीं है। संस्था की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के लिए वे स्वयं विभिन्न स्थानों पर जाकर शिविर लगाकर लोगों से सीधा सम्पर्क कर रहे है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्कृति एवं परम्पराएं आदर्श है। फिर भी हम विकसित देशों की तुलना में पीछे हैं। यहां भ्रष्टाचार की विष बेल को सींचने से रोकने की जरूरत है । विकास कार्यों के लिए मिला बजट पूर्ण रूप से सही व्यय होगा तभी सही मायने में सभी को सुविधाएं मिलेगी। बहुआयामी विकास के लिए भ्रष्टाचार पर नियंत्राण जरूरी है। उन्होंने समस्त स्वयंसेवी संगठनों एवं आमजन से अपील कि की वे जागरूक रहे तथा संकल्प लें की किसी भी कार्य के लिए रिश्वत नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार करने वालों का प्रतिरोध किया जाना चाहिए। इसके लिए समाज सजग होकर कार्य करें।
इस मौके पर लोकायुक्त सचिवालय के संयुक्त सचिव श्री भगवान शारदा ने लोकायुक्त सचिवालय के कार्यक्षेत्रा, शिकायत करने का तरीका जांच व अंवेषण करने की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि ल¨कायुक्त संस्थान द्वारा राज्य के मंत्रिय¨ं, सचिव¨ं, विभागाध्यक्ष¨ं, ल¨कसेवक¨ं, जिला परिषद¨ं के प्रमुख¨ं व उप प्रमुख¨ं, पंचायत समितिय¨ं के प्रधान¨ं व उप-प्रधान¨ं, जिला परिषद¨ं व पंचायत समितिय¨ं की स्थायी समितिय¨ं के अध्यक्ष¨ं, नगर निगम¨ं के महाप©र एवं उप महाप©र, स्थानीय प्राधिकरण, नगरपरिषद¨ं, नगरपालिकाओं व नगर विकास न्यास¨ं के अध्यक्ष¨ं व उपाध्यक्ष¨ं, राजकीय कम्पनिय¨ं व निगम¨ं अथवा मण्डल¨ं के अध्यक्ष¨ं, अधिकारिय¨ं व कर्मचारिय¨ं के विरूð शिकायत¨ं की जाँच की जाती है।
क¨ई भी व्यक्ति (ज¨ स्वयं ल¨क सेवक न ह¨) ल¨कायुक्त सचिवालय के प्रमुख सचिव/सचिव/उप सचिव क¨ अपनी शिकायत स्वयं उपस्थित ह¨कर या डाक / फैक्स / ई-मेल द्वारा प्रेषित कर सकता है। शिकायत म­ शिकायतकर्ता का पूरा नाम, पता व व्यवसाय के साथ हर एक आर¨प पूर्ण विवरण के साथ अंकित ह¨ना चाहिए। शिकायत म­ जिस ल¨क सेवक के खिलाफ शिकायत है, उसका नाम व पद नाम तथा ज¨ साक्ष्य शिकायत के मुद्द¨ं क¨ सिð करने के लिये पेश ह¨गी, उसका ब्य©रा अंकित ह¨ना चाहिए। यदि व्यथित व्यक्ति अथवा शिकायतकर्ता की मृत्यु ह¨ जाये या किसी परिस्थितिवश वह स्वयं कार्यवाही करने म­ असमर्थ ह¨ त¨ शिकायत किसी भी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जा सकती है ज¨ उसकी सम्पदा का प्रतिनिधित्व करता ह¨ या इस कार्य के लिये शिकायतकर्ता द्वारा अधिकृत किया गया ह¨।
प्रत्येक शिकायत के साथ गैर-न्यायिक स्टाम्प पर मजिस्ट्रेट या न¨टरी पब्लिक द्वारा सत्यापित शपथ-पत्रा ह¨ना आवश्यक है। फैक्स/ई-मेल द्वारा शिकायत प्रेषित करने की स्थिति म­ शपथ-पत्रा डाक द्वारा पृथक से भेजा जाना चाहिए।
इस मौके पर सहायक सचिव ने बताया कि गुरूवार को कुल 21 शिकायते प्राप्त हुई। जिनमें 4 नगर निगम, 5 राजस्व, 4 पुलिस, 3 पंचायतराज तथा एक-एक विद्युत, जलदाय एवं पेंशन विभाग से संबंधित है। गुरूवार को पूर्व में दर्ज 4 शिकायतों पर लोकायुक्त ने सुनवाई की।
इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलक्टर शहर श्री अरविंद कुमार सेंगवा, पुष्कर के उपखण्ड अधिकारी श्री मनमोहन व्यास, तहसीलदा प्रदीप चैमाल सहित संबंधित अधिकारीगण एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, आमजन उपस्थित थे।

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