अनिवार्य बाल षिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रति घोर उपेक्षा

विजय जैन
विजय जैन
अजमेर 6 मार्च। शहर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष विजय जैन ने राजस्थान सरकार और षिक्षा विभाग पर अनिवार्य बाल षिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रति घोर उपेक्षापूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाते हुऐ षिक्षा पाने के मूल अधिकार पर सरकार गैर जिम्मेदाराना रवैये पर कई सवाल खड़े किये।
कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विजय जैन ने एक ब्यान जारी कर कहा कि शहर के लगभग सभी निजी स्कूलों में नऐ षिक्षा सत्र के लिये प्रवेष प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है पर सरकार ने षिक्षा के अधिकार के तहत वंचित वर्ग के छात्रों के होने वाले 25 प्रतिषत प्रवेषों के लिये आज तक नोटिफिकेषन जारी नही किया है जिससे उन अभिभाको में प्रवेष को लेकर असमंजय के हालात बने हुऐ है जो वंचित वर्ग से आते हैं और अपने बच्चे को बड़े सकूल मे प्रवेष दिलाकर उसे गुणवत्तापूर्ण षिक्षा दिलाना चाहते है पर सरकार के नोटिफिकेषन जारी नहीं करने से यह प्रमाणित होता है की बाल षिक्षा के प्रति सरकार कितनी संवैदनषील है।
उन्होने कहा कि राज्य सरकार का षिक्षा विभाग निःशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पूरी तरह से उल्लंघन कर रही है। जरूरतमंद व दुर्बल वर्ग के लिए जिस मंशा से इस अधिनियम को बनाया गया था, उसे तोड़मोड़ कर नए नियम बनाने में लगी है। सरकार की ऐसी मंशा से साफ पता चलता है कि सरकार नहीं चाहती कि जरूरतमंद व दुर्लब वर्ग के बच्चों को निःशुल्क गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। शिक्षा के अधिकार के तहत तमाम तरह के प्राइवेट स्कूलों के लिए इस बात की अनिवार्यता है कि वह 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को दाखिला दे।
जैन ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में दाखिले लेने के लिये आधार कार्ड की अनिवार्यता के आदेष दिये है जो सूप्रीम कोर्ट के उन आदेषों की खुली अवहेलना है जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आधार कार्ड का सामाजिक लाभ की योजनाओं में इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने है कहा कि इसका इस्तेमाल स्वैच्छिक ही होना चाहिए, अनिवार्य नहीं पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने इसके साथ ही स्पष्ट शब्दों में कहा है कि आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है और न ही इसके लिए कोई दबाव बनाया जा सकता है। मगर सरकार ने तुगलकी फरमान जारी करके स्कूल में प्रवेष पर आधार को अनिवार्य कर दिया है। उन्हाने कहा कि कोई भी स्कूल बच्चे के आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं कर सकता ऐसे में रजिस्ट्रेशन के लिए बच्चे का आधार कार्ड को अनिवार्य करना गैरकानूनी है।
जैन ने कहा कि सरकार के प्रभावी नियंत्रण के आभाव के कारण अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक काफी त्रस्त हैं। सीबीएसई में पाठ्य-पुस्तकें निर्धारित एनसीईआरटी प्रकाशन की न होकर निजी प्रकाशनों की महंगी पुस्तकें अनिवार्य रूप से लागू कर दी जा रही हैं। लेकिन शिक्षा विभाग भी इस पर संज्ञान नहीं ले रहा है। अधिकांष अंग्रेजी माध्यम की संस्थाएं जो सीबीएसई बोर्ड के पाठ्यक्रम से संचालित होती हैं वे भी एनसीईआरटी प्रकाशन की पुस्तकें न चलाकर अन्य प्रकाशनों की महंगी पुस्तकें लागू करती हैं। ऐसे में अभिभावकों पर निर्धारित पुस्तकों की दुकानों से आवश्यकता से अधिक पुस्तकों के क्रय की अनिवार्यता उनका बजट बिगाड़ रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि शिक्षा के अधिकार के तहत बालकों को एक समान शिक्षा के अवसर प्रदान करने और कमजोर आय वर्ग के बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने का मौका देने के लिए केन्द्र सरकार ने अधिनियम बनाया था लेकिन राज्य शासन ने बीते साल से इसमें संशोधन कर दिया था और आरटीई में प्रवेश देने के लिए नियम बदल दिए थे। इसके अनुसार निर्धारित आय सीमा को घटा कर केवल एस.सी. और ओबीसी के बालकों को प्रवेष देने की व्यवस्था बनाई थी। जिससे ज्यादातर अभिभावक चाहकर भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश नहीं दिला पा रहे थे। राज्य सरकार के इस नियम के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित में याचिका दायर की गई जिस पर हाईकोर्ट ने जनहित में फैसला सुनाया। इस पर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया।

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