आतंवाद के खिलाफ निर्णायक माहौल बनाना होगा

dargaah deewanअजमेर 25 मार्च। धर्मगुरू एवं सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिष्ती के वंषज एवं वंषानुगत सज्जादानषीन दरगाह के आध्यात्मीक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने लंदन ब्लास्ट में हताहत हुऐ लोगों को श्रधांजलि देते हुऐ कहा कि धर्म के माध्यम से ही संपूर्ण विश्व को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है। तभी पूरे विश्व में सद्भावना और शाति की परिकल्पना संभव हो पाऐगी। इसके लिए सभी देषों को सामुहिक प्रयास को आधार मानते हुए आतंवाद के खिलाफ निर्णायक माहौल बनाना होगा।

दरगाह दीवान ने आतंवाद की इस घटना की कठोर शब्दों मे निंदा करते हुऐ कहा कि जो अपने कत्लो.गारत और दहशतगर्दी के कामों को इस्लाम के आदेशानुसार बतलातें हैं वो कुरान और रसूल की तालीमों का अपमान करतें है। क्योंकि कुरान वो ग्रंथ है जिसने एक कत्ल के अपराध को पूरी इंसानियत के कत्ल करने के अपराध के बराबर रखा और कहा श्किसी जान को कत्ल न करो जिसके कत्ल को अल्लाह ने हराम किया है सिवाय हक के।श् ;सूरह इसराए 33द्ध

इस्लाम के नाम पर आतंकवाद फैलाने वालों पर कटाक्ष करते हुऐ दरगाह दीवान ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। आतंकवादी की कोई राष्ट्रीयता नहीं होती उसका कोई देश नहीं होताए आतंकवादीए आतंकवादी होता है। लैकिन ये एक कड़वी सच्चाई हैए कि पूरी दुनिया में कुछ लोग इस्लाम का दुरुपयोग करके इस बात को साबित करने पर तुले हैं कि आतंकवाद का धर्म होता है। इन लोगों को आप आतंकवादी कह सकते हैं। कट्टरपंथी कह सकते हैंए धर्म के नाम पर जहर फैलाने वाला सामाजिक वायरस कह सकते हैं। नाम कुछ भी हो इनका काम और मकसद सिर्फ एक है और वो है इस्लाम के नाम पर मासूम लोगों की बलि लेना।

दरगाह दीवान ने कहा कि आज विश्व को जिस चीज की आवश्कता है वह शांति के लिए वैश्विक वचनबद्धता है और पुरानी व पारम्परिक शैली में आमुलचूल परिवर्तन होना चाहिये ताकि विश्व में अधिक न्यायए नैतिकता और प्रजातंत्र स्थापित हो सके। क्योंकि शांति के टिकाऊ होने के लिए उसका न्यायिक होना आवश्यक है। दशकों के अनुभव इस बात के सूचक हैं कि राजनीतिक और आर्थिक कारक अब भी विश्व में शांति स्थापित होने की दिशा में रुकावट बने हैं। पिछड़ापनए अतिवादी सोच में विस्तारए दूसरे इंसानों के अधिकारों का सम्मान न करनाए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का न होना और सामूहिक विनाश के हथियारों को नष्ट करने के संबंध में एक नीति का न होना जैसे कारक विश्व में शांति व सुरक्षा की स्थापना में रुकावट बने हैं।

दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान
आध्यात्मीक प्रमुख एवं वंषानुगत सज्जादानषीन
हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिष्ती अजमेर।

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