ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 805 वां उर्स कुल की रस्म के साथ संपन्न

Dargaahअजमेेर 4 अप्रेल । सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 805 वां उर्स का शुक्रवार को कुल की रस्म के साथ समापन हो गया। दरगाह स्थित महफिल खाने में कुल की महफिल हुई जिसकी सदारत ख्वाजा साहब के वंशज एवं दरगाह के आध्यात्मीक प्रमुख दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान परम्परागत रूप से सम्पन्न की।
दरगाह दीवान के सचिव एवं जांनशीन सैय्यद नसीरूद्दीन चिश्ती ने बताया कि शुक्रवार को प्रातः महफिल खानें में कुरआन ख्वानी की जाकर 10ः45 बजे हजरत अमीर खुसरो द्वारा लिखित आज रंग है री मां रंग है……… से कुल की महफिल का आगाज हुआ और इसमें देश की विभिन्न खानकाहों के सज्जादानशीन, सूफी, मशायख सहित बड़ी संख्या में जायरीने ख्वाजा अकीदत के साथ मोजूद रहे। कुल की महफिल में दरगाह की प्रथम चोकी के कव्वालों द्वारा रंग और बधावे के अलावा फारसी व हिन्दी में सूफीमत के प्रर्वतकों द्वारा लिखे गऐ कलाम पेश किये। दोपहर 12ः45 बजे कदीमी रिवायत के मुताबिक मोरूसी फातेहाखां जुबैर अहमद व करीम अली द्वारा संदल और पान के बिड़ों पर फातेहा पढ़ी। 1: 00 पर शाहजहानी नौबत खाने से शादियाने बजाकर कुल का ऐलान किया गया और बड़े पीर की पहाड़ी से तोपें दागी गई। पारम्परिक रस्म के तहत दरगाह कमेटी की और से मोरूसी अमले रकाबदार हुसैन खां ने दरगाह दीवान को खिलअत पहनाया और दस्तारबंदी की। महफिल खाने से दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान, उनके पुत्र एवं जांनषीन सैय्यद नसीरूद्दीन चिश्ती अपने परिवार के साथ आस्ताने शरीफ में कुल की रस्म अदा करने गऐे उन्होने जन्नती दरवाजे से आस्ताना शरीफ में प्रवेश किया उनके दाखिल होने के बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया गया। आस्ताने में कुल की रस्म हुई जिसमें फातेहा पढ़ी जाकर मुल्क में अमन चैन ओर खुशहाली की दुआ की गई। आस्ताने में दरगाह दीवान साहब की दस्तारबंदी की गई। कुल की रस्म सम्पन्न करके दीवान साहब आस्ताने से खानकाह शरीफ पहुंचे जहां कदीम रस्म के मुताबिक अमला शाहगिर्द पेशां मौरूसी अमले की दस्तारबंदी की। इस अवसर पर देशभर से आऐ कलंदरों (फकीर) दागोल की रस्म अदा की जिनके सरगिरोह और खलिफाओं की दस्तारबंदी भी दीवान साहब द्वारा की गई।
दरगाह दीवान ने जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन सहित खादिमों की संस्था अंजुमन के पदाधिकारियों को 805 वे उर्स की मुबारकबाद देते हुऐ उर्स के सफल आयोजन एवं जायरीनों के लिये बेहतर इन्तेजामात और मजहबी रस्मों में साकारात्मक सहयोग के लिये धन्यवाद दिया। दरगाह दीवान की हवेली पर भी उर्स की रस्म अदा की गई जहा इन्तेजाम में लगे पुलिस व प्रषासनिक अधिकारियों की दस्तार बंदी कर मुबारकबाद पेष की गई।

सैय्यद नसीरूद्दीन चिश्ती
सचिव एवं जांनशीन
दरगाह दीवान अजमेर
9829119171

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