दीवान को हटाने का अधिकार किसी को नहीं

dargaah deewanअजमेर 5 अप्रेल। मुस्लिमों से बीफ छोड़ने की अपील करने तथा तीन तलाक के मामले पर ब्यान देने वाले अजमेर की सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन की दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने उनको पद से हटाऐ जाने की खबर का खंडन करते हुऐ कहा कि यह केवल इस्लामिक कटटरपंथियों की साजिष है। उन्होने कहा कि वह आज भी सज्जादानषीन हैं और मृत्यु तक रहेंगे दरगाह दीवान ने अपने पुत्र को अपना उत्तराधिकारी और दरगाह दीवान घोषित किया।
बुधवार को हवेली दीवान साहब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दीवान आबेदीन ने कहा कि वह हमेषा इस्लामिक कट्टरपंथियों के निषाने पर रहे हैं और देषहित दिये गऐ ब्यानों से हमेषा कट्टरपंथियों तकलीफ रहती है, और वही ताकतें अकसर इस तरह के भ्रामक प्रचार से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुचाने की कुचैष्ठा करते रहते है। उन्होने साफ तौर पर कहा कि दरगाह दीवान का पद एक धार्मिक पद होते हुऐ वंषानुगत है जिसे देष के सर्वोच्च न्यायालय नें 1987 में निर्णित किया हुआ है। जिसके तहत दीवान को हटाने का अधिकार किसी को नहीं है इसलिये उन्हे दरगाह के आध्यात्मीक प्रमुख पद से हटा देने का ब्यान हास्यपद होते हुऐ इस्लामिक कट्टरपंथियों की शाजिष मात्र है।
उन्होने कहा कि मैंनंे सरकार से देश में गौवंश के वध और इनके मांस की बिक्री पर रोक लगाने की मांग करते हुए मुस्लिम समाज से कहा कि वे पहल करे ताकि बीफ को लेकर दो समुदायों के बीच पनप रहे वैमनस्य पर विराम लगे साथ ही उन्होने एक मजलिस मे तीन तलाक को शरीयत के स्थापित नियमो के खिलाफ बताया है और वह आज भी उस पर कायम है। और इस्लाम के मसाईल पर यदी कट्टरपंथी विचारधारा के लोग धर्म के नाम पर समाज में किसी प्रकार का भ्रम पैदा करने की कोषिष करेगें तो वह हमेषा उनहे इसी तरह जवाब देते रहेंगे।
दरगाह दीवान ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह देष के सर्वोच्च न्यायालय के आदेष से ख्वाजा साहब के वंषानुगत सज्जादानषीन के पद पर पदासीन हैं और मृत्यु तक रहेंगे फिर भी किसी प्रकार के भ्रम ना रहे इसलिये वह अपने ज्येष्ठ पुत्र सैयद नसीरूद्दीन चिष्ती को अपना उत्तराधिकारी होने की घोषणा करते है जो वर्तमान में मेरी गैर मोजूदगी मे दरगाह की समस्त धार्मिक रस्मे अंजाम देते है। उन्होने उनके छोटे भाई एस.ए.अलीमी द्वारा दरगाह दीवान को उनके पद से हटा देने की खबर को सिरे से खारिज करते हुऐ कहा कि दरगाह दीवान को उनके पद से उनके भाई किसी को भी नियुक्त करने या हटा देने का कोई विधिक अधिकार नही है इसलिये उनके द्वारा दरगाह दीवान को हटाने के ब्यान की कोई वेधानिकता नही है इस लिये किसी को भ्रमित नहीं होना चाहिये।

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