स्वामी टेऊँराम के 131वें जन्मोत्सव का हवन, ध्वजावन्दन व पल्लव के साथ समापन

DSC_5738अजमेर 29 जून, देहली गेट स्थित प्रेम प्रकाश आश्रम में पिछले पांच दिनों से चल रहे सत्गुरू स्वामी टेऊँराम महाराज के 131वें जन्मोत्सव के अन्तिम दिन के कार्यक्रम प्रेम प्रकाश मण्डल के महामण्डलेश्वर स्वामी भगत प्रकाश जी महाराज, 108 वेदान्त केसरी स्वामी बसन्तराम जी महाराज के शिष्य व आश्रम के महंत स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री के सानिध्य में अत्यन्त हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुए। यह जानकारी देते हुए आश्रम के संत ओम प्रकाश शास्त्री ने बताया कि कार्यक्रम के 5वें दिन प्रातः 6.30 बजे सत्गुरू स्वामी टेऊँराम जी महाराज व स्वामी बसंतराम जी महाराज व अन्य सन्तों के श्रीविग्रहों (मूर्तियों) की पूजा हुई व 56 भोग लगाये गये एवं 131 दीपों के साथ महाआरती हुई। प्रातः 8 से विद्वान पण्डित स्व. श्री ब्रज मोहन व्यास जी महाराज के सुपौत्र कृष्ण कुमार व्यास के नेतृत्व में पण्डितों द्वारा हवन किया गया। पूर्णाहूति के बाद 10 बजे शहनाई वादन के साथ ”प्रेम प्रकाश ध्वज“ फहराया गया । प्रेम प्रकाश मंडलाध्यक्ष स्वामी भगत प्रकाश जी महाराज ने अपने प्रवचन में बताया कि आज हमारे आचार्य सद्गुरू स्वामी टेऊँरामजी का 131वां जन्मदिन है। पूर्व जन्मों के संस्कारों के फलस्वरूप बचपन से ही उनकी रूचि अध्यात्मिक मार्ग की ओर रही। सहनशीलता उनके जीवन का विशेष गुण था। विभिन्न विपदाओं में भी वो अपने मन को विचलित नहीं होने देते थे। शांति और सहनशीलता उन्होंने अपने जीवन मंे धारण किया। उनके जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है जिसके जीवन में सहनशीलता है वो ही सफलता प्राप्त करता है। चाहे व्यवहारिक हो या आध्यात्मिक जीवन हो उसमें हमें धीरज व सहनशीलता को अपनाना चाहिए। मन को शांत बनाना सीखें। परस्थितियाँ हमेशा हमारे अनुकूल नहीं रहती। शांति अगर चाहिए तो हर कठिन परिस्थिति को हमें प्रभु की लीला समझ्ानी चाहिए। तत्पश्चात् सत्गुरू स्वामी टेऊँराम जी महाराज द्वारा रचित “श्री प्रेम प्रकाश ग्रन्थ” के पाठ का भोग हुआ एवं अजमेर व बाहर से आए हुए संत-महात्माओं की उपस्थिति में आम भण्डारा हुआ।
सायंकालीन सत्संग सभा में सूरत से आई साईं टेऊँराम भजन मण्डली के कलाकारों ने हैप्पी बर्थडे स्वामी टेऊँराम…, सारा जमाना, साईं का है दिवाना आदि भजनों पर प्रस्तुति दी। स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री ने अपने प्रवचन में बताया कि सत्गुरू स्वामी टेऊँराम जी महाराज ने भारत के सिंध प्रांत में अवतार लिया, बाल्यावस्था में उनकी वृत्ति सेवा, स्मरण, सत्संग की ओर थी। संसार में मानव को मर्यादा वो संस्कारों पर चलना चाहिये बुरी प्रवृत्तियों से किनारा करना चाहिये। उन्होंने मानव मात्र को अपने जीवन में आपसी भेदभाव मिटाकर प्रेम से रहने का संदेश देकर प्रेम प्रकाश सम्प्रदाय की स्थापना की। सत्संग का वास्तविक अर्थ है जीवन में सदाचार आना। जीवन में सद्व्यवहार करना। अच्छा आचार-विचार करना चाहिये। स्वामी टेऊँराम जी महाराज ने सनातन धर्म का प्रकार किया। उसके बाद ”सत्गुरू स्वामी टेऊँराम दोहा स्मरण प्रतियोगिता“ के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। सत्गुरू स्वामी भगत प्रकाश महाराज ने 1008 सत्गुरू स्वामी टेऊँराम जी महाराज के जन्म दिवस की सभी प्रेमियों को बधाई देते हुए कहा कि आज के दिन स्वामी टेऊँरामजी महाराज का अवतार हुआ। उनमें अनन्त गुण थे। उनके जन्मदिन पर हम सबका यहाँ आना तभी सफल माना जाएगा जब हम उनके सद्गुणों को अपने जीवन में अपनायेंगे एवं उनके समान बनने का प्रयास करेंगे। गुरू चरणों में यही प्रार्थना करें कि हमारा नाम सिमरन में मन लगे। उसके बाद पल्लव (अरदास) पाकर उत्सव की समाप्ति की घोषणा के बाद प्रसाद वितरण हुआ।
संत ओम प्रकाश ने 5 दिवसीय कार्यक्रम में सभी सहयोग प्रदान करने वालों का आभार व्यक्त किया व स्वामी टेऊँरामजी महाराज के जन्मोत्सव की शुभकामनाएँ प्रदान की।
संत ओम प्रकाश शास्त्री मो. 9784065000

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